जमीन के बदले नौकरी: बढ़ा जांच का दायरा, कम नहीं होंगी लालू परिवार की मुश्किलें    

नई दिल्ली। जमीन के बदले नौकरी घोटाला (Land for job scam) मामले में भले ही लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों को जमानत मिल गई है, लेकिन सीबीआई ने अपनी जांच का विस्तार किया है।

सीबीआई को जांच में पता चला है कि घोटाले में करीब 4000 लोगों को जमीन के बदले भारतीय रेलवे में नौकरी दी गई थी। ये घोटाला उस वक्त हुआ, जब लालू प्रसाद यादव केंद्रीय रेल मंत्री के पद पर थे।

सीबीआई को मिली उम्मीदवारों की लिस्ट

सूत्रों ने कहा कि एजेंसी को एक स्टोरेज डिवाइस मिला है, जिसमें 1500 उम्मीदवारों की लिस्ट है। इसके साथ ही इन उम्मीदवारों को रेलवे के किस जोन में तैनात किया गया है इस बात का भी डेटा सीबीआई को मिला है। अधिकारियों ने दावा किया कि जिन लोगों ने नौकरी के बदले लालू और उनके परिवार को जमीन दी, वे बिहार के सिर्फ 5-6 जिलों के हैं।

नौकरी देने के लिए कैंप ऑफिस को बनाया था सेल

सीबीआई जांच से यह भी पता चला है कि लालू ने अपने पटना कैंप कार्यालय में एमआर सेल नाम का एक स्पेशल सेल बनाया था, जिसका इस्तेमाल उम्मीदवारों से डॉक्यूमेंट और एप्लीकेशन जमा करने के लिए एक सेंटर की तरह किया जाता था।

ये सेल रेलवे अधिकारियों तक आवेदन भेजने से पहले संबंधित आवेदक के डॉक्यूमेंट्स की जांच करती थी। किस उम्मीदवार को रेलवे के किस जोन में भेजना है इस तरह के फैसले सेल ही लेती थी। इसके अलावा उम्मीदवारों के साथ समन्वय की जिम्मेदारी भी इसी सेल की थी।

जमीनों को बाद में बेच कर कमाया मोटा मुनाफा

जांच में इस बात के भी सबूत सामने आए हैं कि लालू खानदान उम्मीदवारों से खरीदी गई कई जमीनों को बाद में बेचकर फायदा कमा रहा था। उदाहरण के तौर पर कुछ लाख रुपये में खरीदी गई जमीन 2017 में एक कंपनी को करोड़ो रुपये में बेची गई। इस जमीन के मालिक राजद के पूर्व विधायक सैयद अबू दुजाना हैं।

सीबीआई के सूत्रों ने अमित कात्याल के स्वामित्व वाली एक शेल फर्म के अजीबोगरीब मामले के बारे में भी बताया। इस फर्म ने कथित तौर पर करोड़ों रुपये के जमीन पार्सल खरीदे। बाद में इसे लालू के बेटे तेजस्वी यादव और पत्नी राबड़ी देवी ने 2014 में ले लिया।

गलत डॉक्यूमेंट्स वालों को भी दी गई नौकरियां

कुछ उम्मीदवारों के आवेदन पत्र और उनके द्वारा दिए गए डॉक्यूमेंट्स में कमियां पाई गईं, ऐसे में उन्हें रिजेक्ट कर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बल्कि उनके डॉक्यूमेंट्स को संसोधित किया गया और आवेदकों को नौकरी दी गई।

ऐसे ज्यादातर मामलों में उम्मीदवारों को बैक डेट में ज्वाइनिंग दी गई। कुछ मामलों में उम्मीदवार मेडिकल टेस्ट पास नहीं कर पाए। ऐसे उम्मीदवारों को उन पदों पर नौकरी दी गई, जहां मेडिकल फिटनेस की जरूरत नहीं थी।

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