नई दिल्ली। 95वें अकादमी पुरस्कार में ऑस्कर अवॉर्ड जीतकर भारत का नाम रोशन करने वाली फिल्म ‘आरआरआर’ विवादों में फंस गई है। इस अवॉर्ड को पैसे देकर खरीदे जाने की खबरों ने तूल पकड़ लिया है।
पिछले कई दिनों से इस बात की चर्चा है कि ‘आरआरआर’ के लिए ऑस्कर अवॉर्ड खरीदे गए थे। इसके लिए टीम ने 80 करोड़ खर्च भी किए थे। अवॉर्ड के लिए पैसे खर्च करने की असल सच्चाई क्या है, इसका खुलासा एसएस राजामौली के बेटे कार्तिकेय ने किया है।
एसएस राजामौली के बेटे ने बताई सच्चाई
एक अखबार में छपी खबर के अनुसार, कार्तिकेय ने एक इंटरव्यू में इस बात से पर्दा उठाया कि ऑस्कर जीतने के लिए आरआरआर की टीम ने पैसे खर्च किए या नहीं। उन्होंने इस बात को कन्फर्म किया कि टीम ने ऑस्कर कैंपेन के लिए पैसे जरूर खर्च किए, लेकिन यह अमाउंट उतना बड़ा नहीं था, जितना कि बताया जा रहा है। उन्होंने खुलासा किया कि टीम ने कहां और कैसे-कैसे पैसे खर्च किए।
इस तरह खर्च हुए पैसे
जहां वोटर्स बड़ी संख्या में बुलाए जाते हैं, वहां ज्यादा पैसे खर्च किए जाते हैं। राम चरण, जूनियर एनटीआर, प्रेम रक्षित, काल भैरव, राहुल स्पिलिगुंज जैसे लोगों को ऑफिशियल न्योता भेजा गया था, लेकिन अगर यह अपने साथ किसी और को भी लेकर आ रहे हैं, तो इसके लिए अकादमी को मेल कर बताना होता है। साथ ही इसके लिए अलग से पेमेंट भी करनी होती है।
उन्होंने कहा कि ‘आरआरआर’ से जितने भी लोग गए थे, उन सबके लिए पेमेंट की गई थी। सबसे ऊपर वाली सीट के लिए 750 रुपये हर एक व्यक्ति के अनुसार और नीचे वाली सीट के लिए 1500 रुपये दिए गए थे।
ऑस्कर को खरीदा नहीं जा सकता
उन्होंने आगे कहा कि ऑस्कर को खरीदा नहीं जा सकता। उसमें लोगों का प्यार होता है, जिसे खरीदा नहीं जा सकता। फिल्म को लोगों की नजरों में लाने के लिए उसके कैंपेन पर भारी मात्रा में खर्च करना होता है।
इस कैटेगरी में ऑस्कर जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म
बता दें कि इस बार ऑस्कर की तरफ से तीन भारतीय फिल्में नॉमिनेट की गई थीं। इनमें ‘आरआरआर’ के अलावा गुनीत मोंगा की ‘द एलिफेंट विसफर्स’ और शौनक सेन की ‘ऑल डैट ब्रीद्स’ भी शामिल थी।
इनमें से दो फिल्मों को ऑस्कर मिला, जिसमें ‘आरआरआर’ शामिल है। इस फिल्म को ‘नाटू-नाटू’ गाने के लिए बेस्ट ऑरिजिनल सॉन्ग की कैटेगरी में अवॉर्ड मिला है। यह पहली बार है जब किसी इंडियन फिल्म को इस कैटेगरी में अवॉर्ड मिला हो।