2015 में शरद पवार ने की थी अदाणी की तारीफ़, बताया था मेहनती व सरल

नई दिल्ली। भारत के तमाम विपक्षी दलों द्वारा इन दिनों उद्योगपति गौतम अदाणी का लगातार विरोध किया जा रहा है। इन सबके बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार के अदाणी की प्रशंसा को लेकर विपक्ष के अन्य नेता पवार पर हमलावर हैं।

अब पवार की आत्मकथा में गौतम अदाणी को लेकर लिखी गई बातों का भी जिक्र होने लगा है। पवार ने 2015 में प्रकाशित अपनी आत्मकथा में अदाणी की जमकर तारीफ की थी। इससे साफ है कि अदाणी और पवार की दोस्ती करीब दो दशक पुरानी है, जब वह कोयला क्षेत्र में विस्तार की संभावनाएं तलाश रहे थे।

अपनी मराठी आत्मकथा ‘लोक भूलभुलैया संगति’ में पवार ने अदाणी की प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘कड़ी मेहनत, सरल, जमीन से जुड़े और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में बड़ा योगदान देने की महत्वाकांक्षा रखने वाला’ बताया था। पवार ने ये भी लिखा कि अदाणी ने उनके कहने पर ही थर्मल पॉवर सेक्टर में कदम रखा था।

पवार ने अपनी किताब में बताया है कि कैसे अदाणी ने मुंबई के स्थानीय लोगों में एक सेल्समैन के रूप में अपना कॉर्पोरेट साम्राज्य खड़ा किया। हीरा उद्योग में अपनी किस्मत आजमाने से पहले छोटे उद्यमों में काम किया।  

एनसीपी प्रमुख ने और क्या लिखा?

एनसीपी प्रमुख ने लिख, ‘गौतम हीरा उद्योग में अच्छी कमाई कर रहे थे, लेकिन उन्हें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। उनकी बुनियादी ढांचा क्षेत्र में प्रवेश करने की महत्वाकांक्षा थी। उनके गुजरात के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के साथ अच्छे संबंध थे और उन्होंने मूंदड़ा में एक बंदरगाह विकसित करने का प्रस्ताव पेश किया था।’

पवार ने लिखा, ‘पटेल ने अदाणी को चेतावनी दी थी कि बंदरगाह पाकिस्तान की सीमा के करीब और एक शुष्क क्षेत्र में है। ऐसे में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।’ इसके बावजूद अदाणी ने उस चुनौती को स्वीकार किया।

पवार ने लिखा कि बाद में अदाणी ने कोयला क्षेत्र में कदम रखा और उनके सुझाव पर ही उन्होंने थर्मल पावर क्षेत्र में कदम रखा। तब पवार कृषि मंत्री थे। उन्होंने महाराष्ट्र के गोंदिया में राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल के पिता की पुण्यतिथि के अवसर पर एक समारोह के दौरान अदाणी को यह सुझाव दिया था।

पवार ने अपनी आत्मकथा में आगे लिखा कि गौतम ने अपने भाषण में मेरे सुझाव को स्वीकार किया। आम तौर पर मंच से दिए गए बयानों पर ज्यादा कुछ नहीं होता है, लेकिन गौतम ने मामले को आगे बढ़ाया और भंडारा में 3,000 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट स्थापित किया।

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