नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह को वैध करने की मांग वाली याचिकाओं पर बीते दिन भी सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस विवाह को वैध करार दिए बगैर सामाजिक अधिकार देने के बारे में पूछा। कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार इस जोड़े को सामाजिक कल्याण के लाभ देने को तैयार है?
भाई-बहन के यौन संबंध का जिक्र
केंद्र सरकार की ओर से पैरवी करते हुए सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई चंद्रचूड़ से कहा कि इस विवाह के वैध होने से समाज पर बहुत गलत असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कल को भाई-बहन के यौन संबंध को वैध करने की भी मांग उठने लगेगी। इस पर सीजेआई ने कहा कि इस पर कोई अदालत विचार नहीं कर सकती क्योंकि यह वैसे भी अनाचार है।
सामाजिक लाभ देने पर हो विचार
इसके बाद पीठ ने सॉलिस्टर जनरल से कहा कि केंद्र सरकार को जल्द ही समलैंगिक विवाह को वैध किए बिना सामाजिक लाभ देने का हल खोजना चाहिए। उन्होंने इसके लिए केंद्र को 3 मई का समय दिया।
CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से पूछा कि क्या समलैंगिक जोड़ों को ज्वाइंट बैंक अकाउंट खोलने, बीमा पालिसी में साथी को नामित करने समेत कई दूसरी वित्तीय सुरक्षा दी जा सकती है? उन्होंने कहा कि सरकार के विभिन्न मंत्रालय भी इन चीजों पर विचार कर सकते हैं।
कई कानूनी प्रावधान होंगे प्रभावित
इस तरह के विवाह को वैध करने को गलत ठहराते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि इससे अन्य कानूनों के 160 प्राविधानों पर असर पड़ेगा। तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को इस मामले की व्याख्या नहीं करनी चाहिए, क्योंकि एक मामला सुलझाते-सुलझाते कई और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इसे संसद पर ही छोड़ देना चाहिए। संसद चाहेगी तो एक नया कानून बना लेगी।