बाराबंकी। उप्र की बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी को कोर्ट से एक और झटका लगा है। दरअसल, बाराबंकी के अपर जिला जज अनिल कुमार शुक्ला ने मुख्तार अंसारी सहित आठ आरोपियों की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका प्रारंभिक सुनवाई के समय ही खारिज कर दी।
गौरतलब है कि फर्जी एंबुलेंस और गैंगस्टर मामले में एसीजेएम कोर्ट से तय आरोपों के विरोध में मुख्तार सहित आठ आरोपियों ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जिसको लेकर कोर्ट ने कहा है कि यह मामला सुनवाई के लायक ही नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि माफिया मुख्तार अंसारी और उसके 12 साथियों को लेकर बाराबंकी की दो अदालतों एसीजेएम 19 और एमपी एमएलए कोर्ट में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एंबुलेंस रजिस्टर्ड कराने और गैंगस्टर के मामले में सुनवाई चल रही है।
दोनों ही मामलों में बीती 22 जून को हुई पेशी में चार्ज फ्रेम करने के बाद ट्रायल शुरू हो चुका है। 29 जून को गैंगस्टर और 4 जुलाई को एंबुलेंस मामले में ट्रायल की अगली सुनवाई होनी है। अंसारी और बाकी आरोपियों ने एसीजेएम कोर्ट 19 के सामने अपने वकील के माध्यम से अर्जी देकर कहा था कि उन पर कोई आरोप नहीं बनता है।
जबकि, मुख्तार अंसारी समेत बाकी आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर डॉ. अल्का राय के नाम से उनके फर्जी पते 56, रफी नगर पर एक एंबुलेंस यूपी 41एटी 7171 बाराबंकी आरटीओ ऑफिस में रजिस्टर्ड कराई गई थी। इसी एंबुलेंस को मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ जेल में रहते हुए जेल से अदालत तक जाने में इस्तेमाल करता था।
जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश पांडे और आशीष शरण गुप्ता ने बताया कि एसीजेएम कोर्ट 19 के जज विपिन यादव ने बीते 28 फरवरी को इसी को लेकर मुख्तार अंसारी समेत बाकी आरोपियों की अर्जी खारिज कर दी थी। इस फैसले के खिलाफ मुख्तार अंसारी समेत बाकी आरोपियों ने रिवीजन याचिका सेशन कोर्ट में दायर की थी, जिसे प्रारंभिक सुनवाई के बाद ही अपर जिला जज अनिल शुक्ला ने याचिका खारिज कर दी।
मुख्तार अंसारी के वकील रणधीर सुमन ने बताया कि एंबुलेंस मामले की धारा 420, 419, 467, 471 में 8 लोगों ने जिला जज की अदालत में रिवीजन याचिका दाखिला किया गया था, जिसकी सुनवाई के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ला की कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका निरस्त कर दी। वकील ने बताया कि जज की आपत्तियां ट्रायल का विषय है, अब मुकदमे में धारा 482 के तहत हाईकोर्ट में अपील की जाएगी।