ऑपरेशन सिलक्यारा: नए जोश के साथ बचाव अभियान तेज, वर्टिकल ड्रिलिंग का काम जारी

सिलक्यारा (उत्तरकाशी)। दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में कैद 41 श्रमिक बाहर निकले की उम्मीद लगाए हैं। उन्हें बाहर निकालने की पूरी कोशिशें हो रही हैं लेकिन हर बार कोई न कोई बाधा आने से सफलता नहीं मिल रही। रेस्क्यू का आज 16वां दिन है।

टनल के भीतर से चल रहे बचाव अभियान को झटका लगने के बाद रविवार को नए जोश के साथ बचाव दलों ने चौतरफा बचाव अभियान तेज कर दिया है। भीतर जहां फंसे ब्लेड को काटकर निकालने में तेजी आई तो ऊपर से भी ड्रिल शुरू कर दी गई। वहीं, टनल के दूसरे सिरे से भी एस्केप टनल बनाने का काम तेज कर दिया गया है।

दरअसल, शनिवार को जैसे ही टनल के भीतर 45 मीटर तक ऑगर मशीन का ब्लेड टूटकर फंसने की खबर आई तो ऑपरेशन सिलक्यारा में लगी सभी टीमों के चेहरे उतर गए। नए सिरे से काम शुरू किया गया। रविवार को फिर जोश हाई हुआ। ब्लेड को काटकर निकालने की प्रक्रिया तेज हुई। सोमवार तक पाइप खोदाई के लिए दोबारा खाली हो जाएगा।

दो से तीन दिन में पूरा हो सकता है ऑपरेशन सिलक्यारा

कम दूरी होने के कारण यहां से रेस्क्यू सफल होने की संभावना अभी भी सबसे ज्यादा बताई जा रही है। दूसरी ओर, टनल के ऊपर एसजेवीएन ने वर्टिकल ड्रिल भी शुरू कर दी है। खबर लिखे जाने तक 15 मीटर से ऊपर ड्रिल हो चुकी थी। आरवीएनएल ने भी परपेंडिकुलर होरिजेंटल ड्रिल का काम शुरू कर दिया है।

सुरंग के बड़कोट की ओर से सिरे से भी चार ब्लास्ट करके 10 मीटर तक खोदाई की जा चुकी है। चौतरफा कवायदों ने एक बार फिर मजदूरों के जल्द बाहर आने की उम्मीदों को जवां कर दिया है। अब सब अधिकारी भी दुआ कर रहे हैं कि अभियान में कोई बड़ी रुकावट न आए। उनका कहना है कि आने वाले दो से तीन दिन में ऑपरेशन सिलक्यारा पूरा हो सकता है।

इससे पहले कब-कब जगी उम्मीदें

14 नवंबर: मजदूरों को बचाने के लिए सुरंग के भीतर ड्रिल शुरू हुई। मलबे की बाधा आई लेकिन तेजी से अभियान ने उम्मीद जगाई।

16 नवंबर : पहली मशीन के नाकाम होने के बाद दूसरी अमेरिकन ऑगर मशीन से ड्रिल शुरू हुई। 18 मीटर तक पहुंची तो उम्मीद बढ़ी।

20 नवंबर : टनल के भीतर सफलतापूर्वक 6 इंच का पाइप पहुंचा तो 900 मिमी पाइप के पहुंचने की उम्मीद फिर बढ़ गई।

21 नवंबर: मशीन के भीतर टेलिस्कोपिक कैमरा पहुंचाया। मजदूर दिखे। अभियान में और तेजी आई। 900 मिमी पाइप 22 मीटर पर अटकने के बाद 800 मिमी पाइप उसके भीतर से भेजने का काम शुरू हुआ।

22 नवंबर : 800 मिमी का पाइप 36 मीटर से अधिक दूर तक पहुंचा। ऑपरेशन के जल्द खत्म होने की उम्मीदों ने मारा जोर।

24 नवंबर : 800 मिमी पाइप के भीतर फंसे लोहे को काटने के दौरान गैस कटर के धुएं की महक मजदूरों तक पहुंची तो उम्मीदें बढ़ीं।

Back to top button