वॉशिंगटन। इस्राइल और हमास के बीच पांच महीने से अधिक समय से युद्ध जारी है। सात अक्तूबर को हमास के आतंकियों ने इस्राइल पर हमला कर कई सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया था। इसके बाद, इस्राइल ने कड़ी जवाबी कार्रवाई और समझौता कर अपने कुछ लोगों को रिहा करा लिया था। अब एक बार फिर जंग थोड़े समय के लिए रुक सकती है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने उम्मीद जताई है कि अगले सोमवार तक इस्राइल और हमास के बीच युद्धविराम हो जाएगा। उन्होंने माना है कि दो पक्ष संघर्ष विराम समझौते के करीब हैं।
जो बाइडन ने गाजा में संघर्ष विराम के सवाल पर कहा, ‘मेरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने मुझसे कहा है कि हम इसके करीब हैं और मेरी उम्मीद है कि अगले सोमवार तक हम युद्धविराम कर लेंगे।’ साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हम इसके नजदीक हैं, लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हुआ है। अभी इस पर फाइनल मुहर लगना बाकी है।
एक दिन पहले ही बनी है सहमति
गौरतलब है, इससे एक दिन पहले ही व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बताया था कि, ‘इस्राइल, अमेरिका, मिस्र और कतर के प्रतिनिधियों ने पेरिस में मुलाकात की। इस दौरान अस्थायी संघर्षविराम के बदले हमास द्वारा बनाए गए बंधकों को रिहा करने पर चारों के बीच सहमति बन गई है।’
इन लोगों के बीच हुई बातचीत
मोसाद के निदेशक डेविड बार्निया सहित एक इस्राइली प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को पेरिस में सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के निदेशक बिल बर्न्स, मिस्र और कतर के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। कथित तौर पर, हमास और इस्राइल एक दूसरे से सीधे बात नहीं करते हैं, इन दोनों के बीच कतर और मिस्र मध्यस्थता निभाते हैं। बताया जा रहा है कि पेरिस में हुई बातचीत के बारे में हमास को रविवार शाम को जानकारी दी गई थी।
सात अक्तूबर से जारी जंग
गौरतलब है, हमास ने बीते साल सात अक्तूबर को दक्षिण इस्राइल पर हमला किया था। एक साथ सैकड़ों मिसाइलों को दागा गया था। साथ ही जमीनी हमला भी किया गया था। आतंकवादियों ने 1200 इस्राइली नागरिकों की हत्या कर थी। इसके अलावा, 250 लोगों को बंधक बना लिया था। जिनमें से आधे अभी भी हमास के कब्जे में हैं।
वहीं, युद्ध में इस्राइली सेना ने गाजा के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया है। करीब 24 हजार फलस्तीनी मारे जा चुके हैं। इस्राइल के आक्रमण के बाद से गाजा की 23 लाख की आबादी में 85 फीसदी लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। एक चौथाई आबादी भुखमरी का सामना कर रही है।