प्रदोष व्रत पर करें शिव जी के 108 नामों का जाप, देखते ही देखते दूर होंगे सभी कष्ट

नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष काल में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत करने का विधान है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत को उत्तम माना गया है। ऐसे में अगर आप प्रदोष व्रत के दिन शिव जी के 108 नामों का जाप करते हैं, तो इससे आपको विशेष लाभ मिल सकता है।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 22 मार्च को प्रातः 04 बजकर 44 मिनट पर हो रहा है। साथ ही इस तिथि का समापन 23 मार्च को सुबह 07 बजकर 17 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 22 मार्च, शुक्रवार के दिन किया जाएगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 34 से 08 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। यह प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा।

शिव जी के 108 नाम

ॐ दिग्वाससे नमः ।।

ॐ कामाय नमः ।।

ॐ मंत्रविदे नमः ।।

ॐ परममन्त्राय नमः ।।

ॐ सर्वभावकराय नमः ।।

ॐ हराय नमः ।।

ॐ कमण्डलुधराय नमः ।।

ॐ धन्विते नमः ।।

ॐ बाणहस्ताय नमः ।।

ॐ कपालवते नमः ।।

ॐ अशनिने नमः ।।

ॐ शतघ्निने नमः ।।

ॐ खड्गिने नमः ।।

ॐ पट्टिशिने नमः ।।

ॐ आयुधिने नमः ।।

ॐ महते नमः ।।

ॐ स्रुवहस्ताय नमः ।।

ॐ सुरूपाय नमः ।।

ॐ तेजसे नमः ।।

ॐ तेजस्करनिधये नमः

ॐ उष्णीषिणे नमः ।।

ॐ सुवक्त्राय नमः ।।

ॐ उदग्राय नमः ।।

ॐ विनताय नमः ।।

ॐ दीर्घाय नमः ।।

ॐ हरिकेशाय नमः ।।

ॐ सुतीर्थाय नमः ।।

ॐ कृष्णाय नमः ।।

ॐ श्रृगालरूपाय नमः ।।

ॐ सिद्धार्थाय नमः

ॐ मुण्डाय नमः ।।

ॐ सर्वशुभंकराय नमः ।।

ॐ अजाय नमः ।।

ॐ बहुरूपाय नमः ।।

ॐ गन्धधारिणे नमः ।।

ॐ कपर्दिने नमः ।।

ॐ उर्ध्वरेतसे नमः ।।

ॐ उर्ध्वलिंगाय नमः ।।

ॐ उर्ध्वशायिने नमः ।।

ॐ नभस्थलाय नमः ।।

ॐ त्रिजटाय नमः ।।

ॐ चीरवाससे नमः ।।

ॐ रूद्राय नमः ।।

ॐ सेनापतये नमः ।।

ॐ विभवे नमः ।।

ॐ अहश्चराय नमः ।।

ॐ नक्तंचराय नमः ।।

ॐ तिग्ममन्यवे नमः ।।

ॐ सुवर्चसाय नमः ।।

ॐ गजघ्ने नमः ।।

ॐ दैत्यघ्ने नमः ।।

ॐ कालाय नमः ।।

ॐ लोकधात्रे नमः ।।

ॐ गुणाकराय नमः ।।

ॐ सिंहसार्दूलरूपाय नमः ।।

ॐ आर्द्रचर्माम्बराय नमः ।।

ॐ कालयोगिने नमः ।।

ॐ महानादाय नमः ।।

ॐ सर्वकामाय नमः ।।

ॐ चतुष्पथाय नमः ।।

ॐ निशाचराय नमः ।।

ॐ प्रेतचारिणे नमः ।।

ॐ भूतचारिणे नमः ।।

ॐ महेश्वराय नमः ।।

ॐ बहुभूताय नमः ।।

ॐ बहुधराय नमः ।।

ॐ स्वर्भानवे नमः ।।

ॐ अमिताय नमः ।।

ॐ गतये नमः ।।

ॐ नृत्यप्रियाय नमः ।।

ॐ नृत्यनर्ताय नमः ।।

ॐ नर्तकाय नमः ।।

ॐ सर्वलालसाय नमः ।।

ॐ घोराय नमः ।।

ॐ महातपसे नमः ।।

ॐ पाशाय नमः ।।

ॐ नित्याय नमः ।।

ॐ गिरिरूहाय नमः ।।

ॐ नभसे नमः ।।

ॐ सहस्रहस्ताय नमः ।।

ॐ विजयाय नमः ।।

ॐ व्यवसायाय नमः ।।

ॐ अतन्द्रियाय नमः ।।

ॐ अधर्षणाय नमः ।।

ॐ धर्षणात्मने नमः ।।

ॐ यज्ञघ्ने नमः ।।

ॐ कामनाशकाय नमः ।।

ॐ दक्षयागापहारिणे नमः ।।

ॐ सुसहाय नमः ।।

ॐ मध्यमाय नमः ।।

ॐ तेजोपहारिणे नमः ।।

ॐ बलघ्ने नमः ।।

ॐ मुदिताय नमः ।।

ॐ अर्थाय नमः ।।

ॐ अजिताय नमः ।।

ॐ अवराय नमः ।।

ॐ गम्भीरघोषाय नमः ।।

ॐ गम्भीराय नमः ।।

ॐ गंभीरबलवाहनाय नमः ।।

ॐ न्यग्रोधरूपाय नमः ।।

ॐ न्यग्रोधाय नमः ।।

ॐ वृक्षकर्णस्थितये नमः ।।

ॐ विभवे नमः ।।

ॐ सुतीक्ष्णदशनाय नमः ।।

ॐ महाकायाय नमः ।।

ॐ महाननाय नमः ।।

ॐ विश्वकसेनाय नमः ।।

ॐ हरये नमः ।।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता का हमारा दावा नहीं है। अपनाने से पूर्व सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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