दलित-आदिवासी संगठनों का भारत बंद आज, आरक्षण पर नए कानून की मांग; कहीं समर्थन तो कहीं विरोध

नई दिल्ली। दलित और आदिवासी संगठनों ने आज बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। यह बंद हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर बुलाया गया है।

‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (NACDAOR) ने मांगों की एक सूची भी जारी की है। इसमें सबसे अहम अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए न्याय और समानता की मांग हैं।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर बुधवार को किए गए ‘भारत बंद’ के आह्वान का समर्थन किया है।

उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा, “बसपा भारत बंद के आह्वान का समर्थन करती है, क्योंकि भाजपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के आरक्षण विरोधी षड्यंत्र तथा इसे निष्प्रभावी बनाकर अंततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण एक अगस्त 2024 को एससी-एसटी के उपवर्गीकरण में क्रीमी लेयर से संबंधित उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ दोनों समुदायों में भारी रोष व आक्रोश है।”

उधर, इस बंद के आह्वान के बाद राजस्थान के SC-ST वर्ग में दो अलग अलग धड़े बन गए हैं। एक धड़ा बंद का समर्थन कर रहा है तो दूसरे धड़े ने बंद का बहिष्कार किया है। भजनलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने भी भारत बंद को बेतुका बताया है।

बंद के समर्थन करने वालों का तर्क

भारत बंद का आह्वान करने वाले और बंद का समर्थन करने वाले लोगों को सुप्रीम कोर्ट से फैसले से एतराज है। बंद का समर्थन करने वालों ने एससी-एसटी आरक्षण व्यवस्था में वर्गीकरण का विरोध किया है। उनका तर्क है कि इससे जातीय द्वेषता बढ़ेगी। आपस में टकराव की स्थितियां बनेंगी।

बंद का समर्थन करने वालों का कहना है कि आरक्षण की जो व्यवस्था पूर्व से चली आ रही है। वही यथावत रूप से लागू रहनी चाहिए। साथ ही यह मांग भी की गई है कि केंद्र सरकार को एक विधेयक लाकर जनसंख्या के लिहाज से आरक्षण का दायरा बढ़ाना चाहिए क्योंकि 1971 के बाद जनसंख्या काफी बढ़ गई लेकिन आरक्षण का कोटा नहीं बढ़ा।

बंद का विरोध करने वालों का तर्क

एससी-एसटी वर्ग की कई जातियों के प्रतिनिधियों ने भारत बंद का विरोध किया। उनका कहना है कि बंद का कोई तुक नहीं है। एससी-एसटी संघर्ष समिति राजस्थान के बैनर तले वाल्मीकि समाज, नट समाज, बावरी समाज, कालबेलिया, कंजर समाज, धानका समाज और सपेरा समाज समेत 30 जातियों के प्रतिनिधि मंगलवार 20 अगस्त को जुलूस के रूप में जयपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे और बंद के खिलाफ ज्ञापन सौंपा।

इन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उप-वर्गीकरण लागू करने की मांग की। बंद का विरोध करने वाले इन प्रतिनिधियों का कहना है कि अभी चुनिंदा वर्ग और जातियों को ही आरक्षण का लाभ मिल रहा है और वंचित पिछड़ते जा रहे हैं।

वाल्मीकि समाज विकास संस्था अध्यक्ष दीपक डंडोरिया ने कहा कि भारत बंद का वाल्मीकि समाज पूर्ण रूप से बहिष्कार करता है और यह मांग करता है कि इस फैसले को राजस्थान सरकार तुरंत प्रभाव से लागू करे, क्योंकि आरक्षण का बंटवारा ही समाधान है।

भारत बंद का कोई तुक नहीं – डॉ. किरोड़ी लाल मीणा

भजनलाल सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने भारत बंद का विरोध किया है। उनका कहना है कि जिन लोगों ने बंद का ऐलान किया है और जो बंद का समर्थन कर रहे हैं। वे अपनी राजनैतिक रोटियां सेक रहे हैं। बंद की कोई आवश्यकता नहीं है।

डॉ. मीणा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमीलेयर को लेकर जो फैसला दिया है, उसका सम्मान होना चाहिए। मंगलवार को जयपुर में मीडिया से बातचीत में डॉ. मीणा ने कहा कि वे डॉक्टर बन गए। उनके भाई बड़े अफसर बन गए। अब पड़ोसी को मौका मिलना चाहिए जो पिछले 50 साल से मजदूरी कर रहा है।

Back to top button