प्रयागराज। मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि के स्वामित्व संबंधी सभी 15 सिविल वादों की इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक साथ सुनवाई मामले में मस्जिद पक्ष को झटका लगा है।
न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकलपीठ ने बुधवार को उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का वह रिकाल एप्लीकेशन खारिज कर दिया जिसमें एक साथ सुनवाई का 11 जनवरी, 2024 का आदेश वापस लेने की मांग की गई थी।
इससे अब सभी वादों की एक साथ सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने 16 अक्टूबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था। सिविल वाद बिंदु तय करने सहित अन्य विचाराधीन अर्जियों की सुनवाई के लिए अगली तिथि छह नवंबर नियत की गई है।
कोर्ट ने 24 पेज के अपने फैसले में कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 4-ए (पुराने वाद में नए वाद जोड़ने का नियम) के अंतर्गत कोर्ट को समान प्रकृति के वादों की एक साथ समेकित कर सुनवाई करने की शक्ति प्राप्त है। इसी अधिकार का प्रयोग करते हुए कोर्ट ने 15 वादों की एक साथ सुनवाई का आदेश दिया है।
ऐसा आदेश देने के लिए किसी पक्षकार की सहमति अथवा अनुमति लेने का प्रविधान नहीं है। कोर्ट ने कहा, सभी वादों की एक साथ सुनवाई के आदेश पर विपक्षी की आपत्ति का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है। विपक्षी अधिवक्ता नसीरुज्जमा ने कहा था कि वादों को समेकित कर सुनवाई पर कोई आपत्ति नहीं है।
उप्र सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने भी वादों को समेकित किए जाने पर सहमति दी थी। तीन अन्य वाद भी लंबित थे। उन्हें समेकित नहीं किया गया है।
केवल 15 वादों को ही मूल वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव के साथ समेकित कर सुनवाई का आदेश दिया गया है। तथ्यों, वाद कारण व अनुतोष के अनुसार वादों को समेकित करने से अदालत व पक्षकारों का समय बचेगा।
वादों के निस्तारण में सुविधा सिद्धांत को देखते हुए पक्षकारों के हित व न्याय हित में आदेश पारित किया गया है। मंदिर पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह, सौरभ तिवारी इत्यादि ने इसे बड़ी जीत माना है और उम्मीद जताई है कि इससे शीघ्रता से न्याय मिल सकेगा।
यह है मुकदमे की पृष्ठभूमि
शाही ईदगाह मस्जिद औरंगजेब के राज में बनाई गई। मंदिर पक्ष का मत है कि भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बना मंदिर तोड़कर इसे बनाया गया।
वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, मंदिर प्रबंधन प्राधिकरण और ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह के बीच समझौता हुआ। इसमें दोनों पूजास्थलों को एक साथ संचालित करने की अनुमति दी गई।
वादियों का तर्क है कि समझौता धोखाधड़ीपूर्ण और कानून की दृष्टि से अमान्य है। मई 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा न्यायालय में लंबित उन सभी मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था, जिसमें कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित विभिन्न राहतों की मांग थी।
मस्जिद पक्ष ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन उसे राहत नहीं मिली। मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में अब तक 39 तारीखें पड़ चुकी हैं। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत में पहली सुनवाई 18 अक्टूबर, 2023 को हुई थी।