
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई कटौती नहीं की है। रेपो रेट को 5.5 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने लोन ले रखा है, उनकी EMI नहीं घटेगी।
ऐसा इसलिए क्योंकि RBI के रेपो रेट घटाने पर ही बैंक लोन दरों में कटौती करते हैं जिससे EMI भी कम हो जाती है। बता दें कि रेपो रेट वो दर होती है, जिस पर RBI कमर्शियल बैंकों को लोन देता है। ये लोन छोटी अवधि के लिए होते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज मुंबई में प्रमुख नीतिगत दरों की घोषणा की। तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक समाप्त होने के बाद उन्होंने बताया कि ब्याज दरों को भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और देश में मौजूद क्षमता को देखते हुए तय किया गया है।
‘आगामी त्योहारी सीजन से उत्साहजनक नतीजे मिलने की उम्मीद’
इस दौरान RBI गवर्नर ने कहा कि मानसून सीजन अच्छा रहा है। आगामी त्योहारी सीजन का जिक्र करते हुए गवर्नर ने कहा कि इससे आर्थिक मार्चे पर उत्साहजनक नतीजे मिलने की आशा है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार चुनौतियों के बीच सरकार और RBI की सकारात्मक और सहारा देने वाली नीतियां अर्थव्यस्था के लिए बेहतर साबित होंगी।
RBI गवर्नर ने भूराजनीतिक अनिश्चितता को भी रेखांकित किया। कहा कि बदलते वैश्विक समीकरण के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था शानदार अवसरों और ठोस बुनियाद के साथ मजबूती से आगे बढ़ रही है।
क्या है RBI की MPC की संरचना और बैठक की अहमियत
बता दें कि बीते 4 अगस्त को शुरू हुई इस बैठक का मकसद रेपो दरों की समीक्षा करने के साथ-साथ आगामी महीनों में रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख को निर्धारित करना था। गौरतलब है कि छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) का नेतृत्व RBI गवर्नर करते हैं।
इसमें केंद्रीय बैंक के तीन अधिकारी और भारत सरकार द्वारा नामित तीन बाहरी सदस्य शामिल होते हैं। MPC प्रत्येक दो माह में बैठक कर प्रमुख ब्याज दरों पर निर्णय लेती है तथा देश की मौद्रिक नीति की दिशा निर्धारित करती है।