गर्म चाय या कॉफी पीने से भी हो सकता है गले का कैंसर, रिसर्च में सामने आई सच्चाई

सिडनी। अगर आप भी गर्मागर्म चाय या काफी के शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए है। विज्ञानियों की मानें तो अतिरिक्त गर्म पेय पदार्थ का ज्यादा सेवन भोजन नली के कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है।

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय की ओर से देश के लगभग आधे मिलियन वयस्कों पर किए गए एक अध्ययन ने पुष्टि की कि बहुत गर्म पेय (चाय और काफी) का अधिक मात्रा में सेवन का सीधा संबंध भोजन नली के कैंसर से जुड़ा हुआ था।

अध्ययन में पाया गया कि जो व्यक्ति दिन में आठ या इससे ज्यादा कप बहुत गर्म चाय या काफी पीते थे, उनमें इस कैंसर की संभावना लगभग छह गुना अधिक थी, उनकी तुलना में जो अधिक गर्म पेय नहीं पीते थे।

शोधकर्ताओं ने कहा कि अधिक तापमान पर पेय पदार्थ पीना उसी श्रेणी का जोखिम है जो इनडोर लकड़ी के धुएं से निकलने वाले उत्सर्जन या बहुत अधिक लाल मांस खाने के साथ है। शोध में दक्षिण अमेरिका के मामलों को भी शामिल किया गया,

जहां अध्ययनों ने पाया कि बहुत अधिक मेटे पीने (जो आमतौर पर लगभग 70 डिग्री सेल्सियस पर पिया जाता है) और भोजन नली के कैंसर के उच्च जोखिम के बीच संबंध है। बता दें, मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया में समान अध्ययनों ने भी बहुत गर्म पेय पीने और भोजन नली के कैंसर के बीच संबंध का समर्थन किया है।

विज्ञानियों के अनुसार, कैंसर का जोखिम इस बात पर निर्भर कर सकता है कि आप एक बार में कितना गर्म पेय पदार्थ और कितनी जल्दी पीते हैं। इसके लिए शोधकर्ताओं ने विभिन्न तापमान पर गर्म काफी पीने वाले लोगों की ग्रासनली (ओसोफैगस) के अंदर के तापमान को मापा।

उन्होंने पाया कि व्यक्ति द्वारा लिया गया सिप का आकार पेय की गर्मी से अधिक प्रभाव डालता है। 65 डिग्री सेल्सियस की काफी का एक बहुत बड़ा सिप (20 मिलीलीटर) ओसोफैगस के अंदर तापमान को 12 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा देता है। समय के साथ, बड़े सिप लगातार गर्मी के नुकसान का कारण बन सकते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।

वहीं इसी तापमान पर कभी-कभी एक छोटा सिप लेना किसी दीर्घकालिक समस्या का कारण नहीं बनेगा लेकिन लगातार बहुत अधिक गर्म पेय पीने से ओसोफैगस कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने पेय पदार्थ को लेकर सुरक्षित तापमान और सही तरीके से लेने पर बात भी की।

उन्होंने 57.8 डिग्री सेल्सियस को सुरक्षित तापमान की श्रेणी में रखा जिससे स्वाद के साथ भी समझौता नहीं करना पड़ता है। वहीं गर्म पेय को धीरे-धीरे पीने या फूंककर पीने के अलावा छोटे सिप के साथ लेने का सुझाव दिया।

गर्म पेय कैसे बनते हैं कैंसर का कारण?

बहुत गर्म पेय पीने से ओसोफैगस की परत में कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है और ऐसा माना जाता है कि समय के साथ यह कैंसर के विकास की ओर ले जा सकता है। शोधकर्ताओं ने लगभग 90 साल पहले इस संबंध का प्रस्ताव रखा था।

बता दें, इससे पहले भी 2016 में एक पशु अध्ययन में चूहों पर अध्ययन किया गया। उन्हें बहुत गर्म पानी (70 डिग्री सेल्सियस) दिया गया, जिससे ओसोफैगस में पूर्व-कैंसर ग्रोथ विकसित होने की संभावना तुलनात्मक तौर पर अधिक थी।

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