
नई दिल्ली। अवैध घुसपैठ को लेकर केंद्र सरकार सख्त हो गई है। इसी क्रम में सरकार ने देश में अवैध घुसपैठ से हो रहे जनसांख्यिकीय बदलावों का अध्ययन करने और जरूरी कदम सुझाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए उस भाषण के बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने अवैध घुसपैठियों से उत्पन्न खतरों से देश को बचाने के लिए ‘डेमोग्राफी मिशन’ शुरू करने की घोषणा की थी।
पीएम ने कहा था कि सुनियोजित साजिश के तहत देश की जनसांख्यिकी बदली जा रही है और ये अवैध घुसपैठिए आदिवासियों को गुमराह कर उनकी जमीनें हड़प रहे हैं। इस सप्ताह असम दौरे पर भी प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि देश में एक डेमोग्राफी मिशन शुरू किया जा रहा है।
कैबिनेट मीटिंग में हुई चर्चा
सूत्रों के अनुसार, यह प्रस्ताव 10 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में ‘ऑन टेबल एजेंडा’ के रूप में लाया गया और बैठक में इसे मंजूरी मिल गई। बताया जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह ने कैबिनेट को इस उच्चस्तरीय समिति के बारे में जानकारी भी दी।
समिति की संरचना का विवरण अधिसूचना जारी होने के बाद सामने आएगा, लेकिन इसमें सुरक्षा प्रतिष्ठानों और कई राज्यों के अधिकारी शामिल हो सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि समिति का प्राथमिक फोकस सीमावर्ती राज्यों पर रहेगा, जहां कई मौकों पर सुरक्षा एजेंसियों ने जनसांख्यिकीय बदलावों को लेकर चिंता जताई है।
गृहमंत्री ने घुसपैठ को बताया था साजिश का हिस्सा
पिछले महीने राजधानी में आयोजित ‘वाइब्रेंट विलेजेज’ कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रहे जनसांख्यिकीय बदलाव एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने राज्यों के मुख्य सचिवों और सीमा सुरक्षा बलों के प्रमुखों को इस मुद्दे पर विशेष ध्यान देने को कहा था।
सूत्रों ने यह भी बताया कि यूरोपीय आयोग भी इसी तरह का एक अध्ययन कर रहा है और उसने ‘डेमोग्राफी टूलबॉक्स’ तैयार किया है, जिसमें जनसांख्यिकीय परिवर्तनों से निपटने के लिए कानूनी, नीतिगत और वित्तीय उपाय शामिल हैं।
असम और बंगाल में जोर पकड़ेगा घुसपैठ का मुद्दा
पिछले सम्मेलनों में उत्तर प्रदेश और असम के पुलिस अधिकारियों व डीजीपी ने अपने शोध पत्रों में नेपाल और बांग्लादेश से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के जिलों में जनसांख्यिकीय बदलावों का उल्लेख किया था।
इस साल बिहार और अगले साल असम व पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, ये तीनों सीमावर्ती राज्य हैं, इसलिए अवैध घुसपैठ का मुद्दा राजनीतिक रूप से और अधिक जोर पकड़ने की संभावना है।