
नई दिल्ली। हम सभी जानते हैं कि वायु प्रदूषण (Air Pollution) हमारे फेफड़ों के लिए हानिकारक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आपके दिल के लिए भी उतना ही खतरनाक है? जी हां, वायु प्रदूषण भी दिल की बीमारियों के अहम कारणों में से एक बन सकता है।
इसलिए जब वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। हमें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। आइए जानें कैसे वायु प्रदूषण दिल के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
वायु प्रदूषण क्यों है दिल के लिए खतरनाक?
वायु प्रदूषण के छोटे कण, खासतौर से पीएम 2.5, सबसे ज्यादा नुकसानदेह होते हैं। ये कण इतने बारीक होते हैं कि हमारे शरीर की प्रोटेक्टिव टिश्यू को पार करके सीधे फेफड़ों में और फिर ब्लड फ्लो में पहुंच जाते हैं। इसके अलावा, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन जैसी गैसें भी दिल के लिए हानिकारक साबित होती हैं।
दिल पर कैसे डालता है बोझ?
सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस- प्रदूषण के छोटे कण ब्लड फ्लो में पहुंचकर शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं। यह एक ऐसी कंडीशन है, जहां शरीर में हानिकारक मुक्त कण बनने लगते हैं। यह सूजन आर्टरीज की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
ब्लड वेसल्स का कठोर होना- प्रदूषण के कारण ब्लड वेसल्स कम फ्लेक्सीबल और ज्यादा सख्त हो सकती हैं। इससे हाइपरटेंशन का खतरा बढ़ जाता है, जो दिल की बीमारियों का एक अहम रिस्क फैक्टर है।
खून का गाढ़ा होना और थक्के बनना- वायु प्रदूषण ब्लड को गाढ़ा कर सकता है और क्लॉट बनने की संभावना को बढ़ा सकता है। यह क्लॉट आर्टरीज में रुकावट पैदा करके हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं।
हार्ट बीट में अनियमितता- प्रदूषण का संपर्क दिल की इलेक्ट्रिक रिदम में गड़बड़ी पैदा कर सकता है, जिससे एरिथमिया हो सकता है।
इनडायरेक्ट इफेक्ट- प्रदूषित हवा में सांस लेने से सीने में जकड़न या सांस की तकलीफ हो सकती है, जिससे दिल पर एक्स्ट्रा दबाव पड़ता है, खासकर उन लोगों में जो पहले से ही दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं।
किन लोगों को है ज्यादा रिस्क?
हालांकि, वायु प्रदूषण किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन कुछ लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है। इनमें बुजुर्ग, पहले से दिल की बीमारियां, डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोग, बच्चे और प्रेग्नेंट महिलाएं शामिल हैं। साथ ही, वे लोग जो प्रदूषण वाले इलाकों में रहते हैं या सड़क किनारे व्यस्त इलाकों में काम करते हैं, उन पर भी इसका प्रभाव ज्यादा पड़ता है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह सिर्फ सामान्य सूचना के लिए है। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।





