देशभर में आज दीपावली की धूम; जानिए लक्ष्मी पूजन विधि, मुहूर्त और मंत्र

नई दिल्ली। आज 20 अक्तूबर को पूरे देश में दीपावली मनाई जा रही है। यह कार्तिक माह की अमावस्या तिथि है। इस दिन घरों से लेकर मंदिरों में लक्ष्मी पूजन का भव्य आयोजन किया जाता है। इसके प्रभाव से जीवन में खुशियां, सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है। साथ ही व्यक्ति के धन-धान्य में वृद्धि होती हैं।

दिवाली पर बन रहा है शुभ हंस महापुरुष राजयोग

इस वर्ष दिवाली के दिन एक विशेष और शुभ योग बन रहा है जिसे हंस महापुरुष राजयोग कहा जाता है। यह योग तब बनता है जब गुरु ग्रह (बृहस्पति) अपनी उच्च राशि कर्क में स्थित होता है।

गुरु का यह संयोग बेहद शुभ माना जाता है और यह योग व्यक्ति के जीवन में वैभव, बुद्धि, सम्मान और समृद्धि लाने वाला होता है। दिवाली जैसे पावन पर्व पर इस राजयोग का बनना इस दिन की धार्मिक और ज्योतिषीय महत्ता को और अधिक बढ़ा देता है।

20 अक्तूबर को क्यों मनाई जाएगी दिवाली

इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर लोगों के बीच भ्रम बना हुआ है। दीपावली सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ अवसर है. सही समय पर पूजा करने से समृद्धि, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है।

दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है. श्री शुभ सम्वत् 2082 शाके 1947 कार्तिक कृष्ण अमावस्या (प्रदोष-कालीन) 20 अक्तूबर 2025 सोमवार को है।

इस दिन चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से लेकर दोपहर 03 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, तत्पश्चात् अमावस्या तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। दीपावली के पूजन हेतु धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल मुख्य हैं

लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहर्त

ऑफिस के लिए (लाभ)- दोपहर 3:30 मिनट से शाम 5:00 बजे तक

छात्रों के लिए (अमृत)- शाम 5:00 मिनट से लेकर 6:30 मिनट तक

प्रदोष काल- 05:46 से 08:18 तक

वृषभ काल- 07:08 से 09 :03 तक

गृहस्थ, किसान, व्यापारी और विद्यार्थी के लिए- शाम 7: 32 मिनट से लेकर रात 9: 28 मिनट तक

नए व्यापारियों के लिए (चंचल)- शाम 5:55 मिनट से लेकर 7:25 मिनट तक।

परंपरागत व्यापारियों के लिए (शुभ)- रात 3:25 मिनट से लेकर 4:55 मिनट तक।

साधको के लिए (लाभ)- रात 12: 25 से 01:55 मिनट तक।

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (प्रदोष काल)- शाम 07:08 से 08:18 तक।

ब्रह्रा मुहूर्त (20 अक्टूबर 2025 सभी के लिए)- सुबह 3:55 से 5:25 तक।

दीपावली 2025- निशिता काल पूजा मुहूर्त

निशिता काल- रात्रि 11:41 से 12:31 तक

सिंह लग्न काल- सुबह 01:38 से 03:56 तक

दिवाली लक्ष्मी पूजन मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः

ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा

ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः

धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः

लक्ष्मी पूजा विधि 

लक्ष्मी पूजन से पहले घर की साफ-सफाई का खास महत्व है, इसलिए सभी जगह गंगाजल का छिड़काव करें।

घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार बनाएं।

अब लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वप्रथम एक साफ चौकी पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाएं।

अब चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें और सजावट का सामान से चौकी सजाएं।

माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की मूर्ति को वस्त्र पहनाएं और इस दौरान देवी को चुनरी अवश्य अर्पित करें।

अब साफ कलश में जल भरें और चौकी के पास रखें दें।

प्रथम पूज्य देवता का नाम लेते हुए भगवानों को तिलक लगाएं ।

लक्ष्मी-गणेश को फूल माला पहनाएं और ताजे फूल देवी को अर्पित करें। इस दौरान कमल का फूल चढ़ाना न भूलें।

अब अक्षत, चांदी का सिक्का, फल और सभी मिठाई संग भोग अर्पित करें।

यदि आपने किसी वस्तु या सोना-चांदी की खरीदारी की है, तो देवी लक्ष्मी के पास उसे रख दें।

शुद्ध देसी घी से दीपक जलाएं और इसके साथ ही घर के कोने में रखने के लिए कम से कम 21 दिए भी इसके साथ जलाएं।

अब भगवान गणेश जी आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ भी करें

देवी लक्ष्मी की आरती और मंत्रों का जाप करें।

अब घर के सभी कोनों में दीपक रखें और तिजोरी में माता की पूजा में उपयोग किए फूल को रख दें।

अंत में सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे।

पूजन सामग्री

पूजा के लिए मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा और कलावा अवश्य रखें।

भगवानों के वस्त्र और शहद शामिल करें।

गंगाजल, फूल, फूल माला, सिंदूर और पंचामृत।

बताशे, इत्र, चौकी और लाल वस्त्र के साथ कलश।

शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का।

कमल का फूल और हवन कुंड।

हवन सामग्री,  आम के पत्ते और प्रसाद

रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान।

इस दौरान सुपारी, नारियल और मिट्टी के दीए संग रुई भी शामिल करें।

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