
कोलकाता। कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम प्रबंधन की फिलहाल ऐसी ही स्थिति है।
ईडन गार्डेंस स्टेडियम के मिजाज को देखते हुए भारतीय कोच गौतम गंभीर व कप्तान शुभमन गिल फिरकी गेंदबाजों (स्पिनरों) के अनुकूल पिच तो चाहते हैं,
लेकिन इसके अच्छे व बुरे संभावित परिणामों को लेकर भी बेहद सतर्क हैं, क्योंकि इसी चाहत के कारण भारतीय टीम को अपने घर में न्यूजीलैंड के हाथों 3-0 से टेस्ट सीरीज की हार का दंश झेलना पड़ा था।
न्यूजीलैंड के स्पिनरों ने भारत की पिचों पर खूब विकेट चटकाए थे। भारत ने हाल में वेस्ट इंडीज को घरेलू टेस्ट सीरीज में 2-0 से शिकस्त दी है, लेकिन अबकी बार कमजोर कैरेबियाई नहीं, बल्कि विश्व टेस्ट चैंपियन दक्षिण अफ्रीका है।
एक ओर जहां कोच गौतम गंभीर रोजाना ईडन की पिच का गहनता से निरीक्षण कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कप्तान गिल, यशस्वी जायसवाल, लोकेश राहुल समेत टीम के सभी प्रमुख बल्लेबाज स्पिनरों की गेंदों पर अधिक अभ्यास कर रहे हैं।
समझ रहा है टीम मैनेजमेंट
भारतीय टीम प्रबंधन भली-भांति समझ गया है कि ईडन में स्पिन उसका हथियार भी होगा और उसके विरुद्ध हथियार भी। रोहित -विराट के नहीं होने के कारण टीम प्रबंधन स्पिनरों में बल्लेबाजी के विकल्प भी देख रहा है।
नाटकीय रूप से बदलता हैईडन की पिच का मिजाज
ईडन की पिच के मिजाज को टेस्ट मैचों के अंतिम दो दिनों में नाटकीय रूप से बदलते देखा गया है। यह स्पिनरों के लिए पूरी तरह से बिछ जाती है।
यही कारण है कि यहां होने वाले अधिकांश टेस्ट मैचों के नतीजे निकलते हैं। रेयान ने भी पिच देखने के बाद कहा कि लग रहा है कि यह बाद में स्पिनरों के लिए मददगार साबित होगी। मैच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, स्पिनरों की भूमिका महत्वपूर्ण होती जाएगी।





