
लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पहलगाम आतंकी हमले के पश्चात इंटरनेट मीडिया पर कथित अनर्गल, विवादित व देश विरोधी पोस्ट करने की आरोपित भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
न्यायालय ने माना है कि विवेचना अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने के दो सदस्यीय खंडपीठ के आदेश के बावजूद अभियुक्त विवेचना में सहयोग नहीं कर रही है।
जबकि दो सदस्यीय खंडपीठ के इस आदेश के विरुद्ध उसकी विशेष अनुमति याचिका भी सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है। यह आदेश न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की एकल पीठ ने पारित किया है।
अभियुक्त की ओर से दलील दी कि इंटरनेट मीडिया पर की गईं टिप्पणियां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विषय है। यह भी कहा गया कि अभियोजन के पूरे कथानक से मामले में देश के एकता को खतरे में डालने और देश के विरुद्ध विद्रोह की धाराएं नहीं लगाई जा सकतीं।
अग्रिम जमानत का शासकीय अधिवक्ता डा. वीके सिंह ने विरोध करते हुए दलील दी कि जब देश एक संवेदनशील स्थिति से गुजर रहा था तब अभियुक्त ने ‘भाजपा देश को युद्ध में झोंकना और हजारों सैनिकों की जान जोखिम में डालना चाहती है’, जैसी टिप्पणियां कीं,
जिनमें पाकिस्तान से ध्यान हटाकर प्रधानमंत्री को दोषी सिद्ध करने के दुष्प्रचार शामिल थे और इसी वजह से पाकिस्तान ने अभियुक्त के इंटरनेट मीडिया पोस्टों को भारत के खिलाफ दुष्प्रचार का हथियार बनाया।
क्या कहा न्यायालय ने
न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने निर्णय में कहा कि एफआइआर को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए दो सदस्यीय खंडपीठ ने अभियुक्त को 26 सितंबर की तिथि नियत कर विवेचना अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया था।
इस आदेश के विरुद्ध अभियुक्त की विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी, बावजूद इसके अभियुक्त ने विवेचना में सहयोग नहीं किया, ऐसे में उसे अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
कब दर्ज हुई प्राथमिकी
नेहा सिंह राठौर के विरुद्ध यह प्राथमिकी 27 अप्रैल 2025 को लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में अभय प्रताप सिंह उर्फ निर्भीक ने राष्ट्रीय एकता भंग करने, सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने और देश की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने के तहत दर्ज कराई है।





