जब खुद फेल हो गए तो चला रहे टैरिफ बाण, जानें ट्रंप के खिसियाहट की असली वजह

वाशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। बताया जा रहा है कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखे हुए है, इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया है।

ट्रंप इतना क्यों खिसियाए हुए हैं, जान लीजिए

ट्रंप ने यूक्रेन में 1 ट्रिलियन डॉलर के पुनर्निर्माण कारोबार का सपना देखा था। जब वो अमेरिकी चुनाव लड़ रहे थे तो उन्होंने वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आए तो 24 घंटे में युद्धविराम करवा देंगे। मगर, वो इसमें फेल हो गए। वो आजतक युद्धविराम नहीं करवा पाए।

वह शायद यह समझते हैं कि इससे उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिल सकता है। मगर, उनका यह सपना अब साकार होता नहीं दिख रहा है। वह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान में सीजफायर कराने का कई बार श्रेय ले चुके हैं। ईरान-इजरायल तनाव कम कराने और रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने का भी श्रेय ले चुके हैं। हालांकि, दुया जानती है कि ट्रंप की ये कोशिशों फ्लॉप साबित हो चुकी हैं।

जब खुद फेल हो गए तो टैरिफ बाण चला रहे

ट्रंप जब खुद युद्धविराम नहीं करवा पाए तो उन्होंने टैरिफ बाण चला दिया। उन्होंने भारत से कहा कि वो पुतिन को युद्धविराम के लिए मनाए। साथ ही भारत को रूस से तेल खरीदना बंद करना होगा। उन्होंने भारत और चीन दोनों को टैरिफ से धमकाया, मगर उनकी यह धमकी भी बेकार साबित हो रही है।

ब्रिक्स पर डोरे डालना भी काम नहीं आया

ट्रंप ने भारत, रूस, चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के समूह यानी BRICS देशों में डेयरी और कृषि उत्पादों को लाने का वादा किया था। मगर, उसकी राह में सबसे बड़ी बाधा भारत बन रहा है, जो अमेरिकी डेयरी प्रोडॅक्ट को बाजार में नहीं आने दे रहा है।

पाकिस्तान को बचाना भी काम नहीं आया

क्रिप्टो डील के लिए ट्रंप की पहली पसंद भारत था, लेकिन भारत नहीं माना। फिर ट्रंप ने पाकिस्तान का रुख किया क्योंकि पाकिस्तानियों ने अपनी संपत्ति को बचाने के लिए क्रिप्टो में निवेश करना शुरू कर दिया था। मगर, कोई खास फायदा नहीं हुआ।

इस डील से ट्रंप ने पाकिस्तान की इज्जत बचाने की कोशिश की और कहा कि उन्होंने युद्धविराम करवाया है। उन्होंने सोचा कि इस मौके से वो नोबेल पुरस्कार जीत सकते हैं। यहां भी ट्रंप का सपना साकार होता नहीं दिख रहा है।

विदेश मंत्रालय बोला-ट्रंप का कदम अनुचित और अविवेकपूर्ण

वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के टैरिफ को लेकर कड़ा जवाब दिया है। मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा कि वह राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ तौर पर कहा है कि अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने इस मुद्दे पर स्थिति पहले ही साफ कर दी है। हम यह साफ करना चाहते हैं कि हमारा आयात बाजार के फैक्टर्स पर डिपेंड करता है।

भारत का इंपोर्ट 140 करोड़ लोगों की लोगों की एनर्जी सिक्योरिटी सुनिश्चित करने के मकसद को ध्यान में रखकर किया जाता है। ट्रंप की तरफ से उठाया गया कदम अनुचित और अविवेकपूर्ण है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।

तुर्की या यूरोपीय संघ या खुद पर लगाम क्यों नहीं

अमेरिका की अगुवाई वाले उत्तर अटलांटिक संधि संगठन यानी NATO के सदस्य तुर्की फिजहाल रूस से 44 बिलियन डॉलर का सामान खरीद रहा है। वहीं, अमेरिका का करीबी यूरोपीय यूनियन यानी EU ने गैस समेत 33 बिलियन डॉलर का रूसी सामान खरीदा।

चीन को ट्रंप ने 90 दिन की टैरिफ से राहत दी है, वो रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदता है। खुद ट्रंप का अमेरिका भी रूस से 3.3 बिलियन डॉलर के उर्वरक और यूरेनियम जैसे रेडियोएक्टिव धातुएं खरीदता है। ऐसे में ट्रंप अपने गिरेबान में क्यों नहीं झांकते हैं?

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