‘जेल बदले जाने पर था एनकाउंटर का डर, बेटे से कहा था…’; आजम खां का फिर छलका दर्द

रामपुर। समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल से कैमरे के सामने छात्र राजनीति से लेकर जेल यात्रा तक विस्तृत बातचीत की। सिब्बल के सामने अपना दर्द बयां करते हुए उन्होंने उस वक्त को भी याद किया जब रामपुर जेल से उनको सीतापुर जेल भेजा गया था।

उनका कहना था कि उस वक्त जब परिवार के सदस्य अलग-अलग हुए तब उनको एनकाउंटर का डर था। जब वह और उनके बेटे अब्दुल्ला दूसरी जेल में सकुशल शिफ्ट हो गए तब जाकर राहत की सांस ली।

सपा नेता आजम  खां और वरिष्ठ अधिवक्ता के बीच हुई बातचीत का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दोनों के बीच विस्तृत बातचीत हुई। बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी जेल यात्रा का पूरा वर्णन किया।  

छात्र राजनीति से लेकर वर्तमान परिदृश्य पर खुलकर बात

उन्होंने अपने छात्र जीवन की राजनीति से लेकर वर्तमान परिदृश्य पर खुलकर बात की। इसके साथ ही, अपने खिलाफ विचाराधीन 94 मुकदमों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया। बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान लागू हुई इमर्जेंसी में उन्हें देशद्रोह के आरोप में जेल भेजा गया।  

बदला लेने की राजनीति

जेल में भी उस अंधेरी कोठरी में रखा गया, जहां सुंदर डाकू बंद था, जिसे बाद में फांसी दी गई। जब जमानत मिली तो मीसा का मुकदमा दर्ज कराया गया। जेल से रामपुर पहुंचे तो बीड़ी श्रमिकों व बुनकरों की आवाज बने। उन्होंने प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जमकर तारीफ की।  

वर्ष 2017 में उन पर अचानक दर्ज किए गए मुकदमों के बारे में कपिल सिब्बल के सवाल पर कहा कि पहले की सरकारों में सदन के अंदर आलोचना के बाद बाहर पक्ष-विपक्ष के नेता आत्मीयता से मिलते थे। अब बदला लेने की राजनीति हावी हो गई है।

मेरे लिए अलग गाड़ी और अब्दुल्ला को दूसरी गाड़ी में बैठाया गया

उन्होंने पिछली बार पत्नी व बेटे समेत हम तीनों को सीतापुर जेल भेजा था। दूसरी बार रात तीन बजे हमें सोते से उठाया गया।  सपा नेता ने अपनी बातचीत में कहा कि मेरे लिए अलग गाड़ी और अब्दुल्ला को दूसरी गाड़ी में बैठाया गया।

जिंदगी रही तो मिलेंगे, नहीं तो फिर ऊपर मिलेंगे

मैंने जेल में सुन रखा था कि एनकाउंटर हो रहे हैं, ऐसे में जो पिता होगा वह अपनी औलाद को लेकर पीड़ा समझ जाएगा। उन्होंने कहा कि उस वक्त हम दोनों गले लगकर जुदा हुए, मैंने कहा बेटे जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे, नहीं तो ऊपर मिलेंगे।  

मैं मुजरिम के रूप में हाउस में न जाऊं

मुझे लगता नहीं था कि हम मिल पाएंगे। आगे की राजनीति पर उन्होंने कहा कि मैं चाहूंगा जब तक सरकार आए तब तक मेरे ऊपर से मुकदमों का दाग हट जाए। मैं मुजरिम के रूप में हाउस में न जाऊं। मैंने यूनिवर्सिटी बनाई यही मेरा गुनाह है। मुझे जेल में नहीं फांसीघर में रखा गया।

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