नए CJI बने जस्टिस सूर्यकांत, OROP जैसे 10 अहम मामलों में सुना चुके हैं फैसला

नई दिल्ली। 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के एक छोटे से शहर हिसार में जन्में जस्टिस सूर्यकांत आज देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बन चुके हैं।

राष्ट्रपति भवन में उनका भव्य शपथ ग्रहण समारोह देखने को मिला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को शपथ दिलाई। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्री भी मौजूद रहे।

15 महीने का कार्यकाल

पूर्व CJI बी आर गवई की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 30 अक्टूबर 2025 को अगले CJI के लिए जस्टिस सूर्यकांत के नाम पर मुहर लगा दी थी। अब वो 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर आसीन रहेंगे।

जस्टिस सूर्यकांत के अहम फैसले

1. 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को खास राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद कर दिया था।

सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और जिस बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की, जस्टिस सूर्यकांत भी उसी बेंच का हिस्सा थे।

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए राज्य में जल्द से जल्द चुनाव करवाने का आदेश दिया था।

2. जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने गुलामी के काल में बने राजद्रोह कानून (Sedition Law) के तहत कोई भी नया मामला दर्ज न करने का आदेश दिया था।

3. राज्य के विधेयकों के संबध में राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों पर टिप्पणी करने वाली बेंच में भी जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे।

4. बिहार SIR पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि मतदाता सूची से निकाले गए 65 लाख मतदाताओं के नाम सार्वजनिक किए जाएं।

5. जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन सहित सभी बार एसोसिएशन में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने के निर्देश दिए थे।

6. 2022 में पंजाब दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक देखने को मिली थी। जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने मामले की जांच के लिए जस्टिस इंदु मल्होत्रा के नेतृत्व में कमेटी गठित की थी।

7. जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था।

8. 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) मामले पर सुनवाई के लिए बनी 7 जजों की पीठ में भी जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे।

इस पीठ ने 1967 के फैसले को खारिज कर दिया था, जिससे AMU के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार करने के रास्ते खुल गए थे।

9. पेगासस स्पाइवेयर मामले पर करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने इसे गैरकानूनी करार दिया था और मामले की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट्स का पैनल नियुक्त किया था।

10. जस्टिस सूर्यकांत गैरकानूनी रूप से हटाई गई महिला सरपंच को पद पर बहाल करने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच का भी हिस्सा रहे हैं।

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