198 कंपनियों को 2 लाख करोड़ का नुकसान, 88 की नेटवर्थ पूरी तरह से खत्म

नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 198 सरकारी कंपनियों और कारपोरेशनों का कुल नुकसान 31 मार्च, 2021 को 2,00,419 करोड़ रुपये था और इनमें से 88 कंपनियों की नेटवर्थ उनको हुए कुल नुकसान से पूरी तरह खत्म हो गई।

गुरुवार को संसद के पटल पर रखी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन कंपनियों की कुल नेटवर्थ 31 मार्च, 2021 तक 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गई थी। इन 88 कंपनियों में से सिर्फ 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

रिपोर्ट में 453 सरकारी कंपनियों व कारपोरेशनों (छह वैधानिक कारपोरेशनों समेत) और 180 सरकार नियंत्रित अन्य कंपनियों के बारे में बताया गया है। 84 सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज (23 सरकार नियंत्रित अन्य कंपनियों समेत) जिनके खाते तीन वर्ष या उससे अधिक समय से बकाये में थे या लिक्विडेशन की प्रक्रिया में थीं, वे इस रिपोर्ट में कवर नहीं की गई हैं।

सरकारी कंपनियों और कारपोरेशनों से प्राप्त रिटर्न पर रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और कारपोरेशनों ने 2020-21 के दौरान 1,95,667 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, इनमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान बिजली, पेट्रोलियम व वित्तीय सेवाओं के तीन सेक्टरों की 97 कंपनियों ने दिया था।

डीआरडीओ की योजना प्रक्रिया में अक्षमताओं को किया उजाग

कैग की रिपोर्ट में डीआरडीओ की योजना प्रक्रिया में अक्षमताओं को उजागर किया गया है, साथ ही मिशन मोड परियोजनाओं की अपर्याप्त निगरानी के मुद्दे को भी उठाया गया है।

मिशन मोड परियोजनाओं को डीआरडीओ उच्च प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के तौर पर लेता है जो निश्चित समय में पूरा होने वाली यूजर की विशेष जरूरतों पर आधारित होती हैं। ये परियोजनाएं पहले से उपलब्ध, प्रमाणित और डीआरडीओ की पहुंच वाली तकनीकों पर आधारित होती हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, तकनीक की उपलब्धता के बावजूद इन परियोजनाओं की शुरुआत और मंजूरी में काफी विलंब हुआ। 178 ऐसी परियोजनाओं में से 119 में मौलिक समयसीमा का पालन नहीं हुआ। 49 मामलों में अतिरिक्त समय मौलिक समयसीमा से सौ प्रतिशत से अधिक था।

कुल मिलाकर यह विलंब 16 से 500 प्रतिशत तक था और परियोजनाओं की समयसीमा बढ़ाने की मांग कई बार की गई। जनवरी, 2010 से दिसंबर, 2019 के बीच सफल घोषित की गईं 86 परियोजनाओं में से 20 में एक या एक से अधिक मुख्य लक्ष्य या मानक हासिल ही नहीं हुए।

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