अंकारा/दमिश्क। तुर्किये और सीरिया में पिछले दिनों आए अति विनाशकारी भूकंप में अब तक आठ हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 35 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। मृतकों और घायलों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
बड़ी तादात में लोग अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। मलबे के नीचे लोगों के जिंदा होने आशंका को देखते हुए राहत-बचाव का काम भी काफी संभलकर चल रहा है। जो जिंदा हैं, वो मलबों के ढेर में अपनों को तलाश रहे हैं। दिनरात मलबे की खुदाई चल रही है।
लोग हाथों से भी मलबा साफ कर रहे हैं। कई जगहों पर रेस्क्यू करने वालों की कमी पड़ गई है। आलम ये है कि मलबे के अंदर से जिंदा लोग चीख रहे हैं, लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है।
आंकड़ों के अनुसार, तुर्किये और सीरिया में मलबे के नीचे फंसे लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू के काम में करीब एक लाख से ज्यादा लोग जुटे हुए हैं। इसमें अलग-अलग देशों की ट्रेंड टीमें भी शामिल हैं। भारत सरकार ने भी रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की टीम भेजी है।
इसी तरह अमेरिका, चीन समेत कई देशों से दोनों देशों को मदद पहुंचाई जा रही है। हालांकि, इसके बावजूद रेस्क्यू टीम कम पड़ गई है। हालात इतने बुरे हैं कि मलबे के अंदर से जिंदा लोग चीख रहे हैं और उन्हें सुनने वाला कोई नहीं है।
ठंड से ठिठुर रहे लोग, बच्चों की हालत खराब
भूकंप ने हजारों की संख्या में घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। इससे लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इस दौरान तुर्किए और सीरिया में कड़ाके की ठंड ने भी लोगों को मुसीबत में डाल दिया है। लोग सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। ठंड के चलते सबसे ज्यादा बच्चों की हालत खराब हो रही है।
संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और खाड़ी राज्यों सहित दर्जनों देशों ने तुर्किये और सीरिया को मदद करने का वादा किया है। इन देशों में खोजी दलों के साथ-साथ राहत सामग्री हवाई मार्ग से पहुंचनी शुरू हो गई है। फिर भी कुछ सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने कहा कि उन्हें लगता है कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।
23 करोड़ से ज्यादा लोग हो सकते हैं प्रभावित
ताजा आंकड़े बताते हैं कि तुर्किये में साढ़े छह हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं और सीरिया में कम से कम डेढ़ हजार लोगों की जान जा चुकी है। कुल मिलाकर अब तक करीब आठ हजार मौतें हुईं हैं। ऐसी आशंका हैं कि मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक दिन पहले ही अनुमान लगाया है कि मृतकों की संख्या आठ गुना अधिक हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि बड़े पैमाने पर भूकंप से 23 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हो सकते हैं।
रातभर लोग हाथों से हटाते रहे मलबे
हजारों धराशायी इमारतों के मलबे में दबे दसियों हजार लोगों की टूटती सांस के लिए हर बीत रहा पल बेशकीमती है। इन टूटती सांसों को जिंदगी देने में जुटे बचावकर्मी जीजान से कोशिश कर रहे हैं। बर्फीली रात में सैकड़ों बचावकर्मी हाथों से भी मलबा हटाकर लोगों की तलाश में जुटे रहे हैं।
तुर्की और सारिया में स्थानीय और विदेशी बचाव दल शून्य से नीचे के तापपमान के बीच ढही टनों वजनी छतों और दीवारों में फंसी जिंदगियों को बचाने के लिए समय से संघर्ष कर रहे हैं।
कई हजार लोगों का तो पता ही नहीं है, जो नींद में ही मौत की नींद सो गए। मलबा साफ होने के साथ बच्चों और अन्य परिवारीजनों के शव निकलते देखना दिल तोड़ देता है। एपिसेंटर के करीब बसे मालट्या में 5 लाख लोग रहते हैं। इलाके में कई सौ इमारतें पूरी तरह से तबाह हो चुकी हैं। वहीं, मलबे पर बर्फबारी के कारण बचाव कार्य ठीक से नहीं हो पा रहा है।
भूकंप के चलते 10 फीट तक खिसक गया तुर्की
इटली के भूकंप विज्ञानी डॉ. कार्लो डोग्लियोनी ने इस बारे में डिटेल जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि सीरिया की तुलना में तुर्की की टेक्टोनिक प्लेट्स 5 से 6 मीटर तक खिसक सकती है। उन्होंने आगे बताया कि असल में तुर्की कई मेन फॉल्टलाइन पर स्थित है।
यह एनाटोलियन प्लेट, अरेबियन प्लेट और यूरेशियाई प्लेट से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि यहां भूकंप आने का खतरा सबसे अधिक रहता है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि एनाटोलियन प्लेट और अरैबियन प्लेटके बीच की 225 किलोमीटर की फॉल्टलाइन टूट गई है।