रामनगरी अयोध्या में छाया है राम जन्मोत्सव का उल्लास, तिल रखने की जगह नहीं  

अयोध्या। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला श्रीराम जन्मोत्सव या रामनवमी भक्तों के आस्था का प्रतीक है, किंतु इस बार राम की नगरी अयोध्या में राम जन्मोत्सव की रौनक शिखर का स्पर्श करने वाली होगी। राम जन्मोत्सव आज गुरुवार को मध्याह्न मनाया जाएगा।

22 मार्च को वासंतिक नवरात्र के प्रारंभ के साथ ही राम जन्मोत्सव का उल्लास वातावरण में परिलक्षित होने लगा था, पर कल बुधवार की शाम से इसमें कई गुना की वृद्धि हुई। अयोध्या धाम के मठ-मंदिर, सार्वजनिक स्थल एवं मार्ग श्रद्धालुओं से पटे हुए हैं।

रामनगरी में दिखेगी राम जन्मोत्सव की रौनक

मंदिरों और धर्मशालाओं के कक्ष श्रद्धालुओं से दो-तीन दिन पहले से ही भर गए हैं। रामजन्मोत्सव की पूर्व संध्या तक मंदिरों के प्रांगण, पार्कों, स्टेशनों एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी भक्तों ने डेरा डाल दिया है।

उन्हें आज गुरुवार की प्रतीक्षा थी। तड़के से सरयू स्नान का क्रम शुरू हो गया। मध्याह्न तक सरयू स्नान का सिलसिला थमेगा, तो मंदिरों में राम जन्मोत्सव की रौनक बिखरेगी। रामनगरी में तिल रखने की जगह नहीं है।

एक क्विंटल पंचामृत से होगा अभिषेक

जन्मोत्सव के अवसर पर रामलला का एक क्विंटल पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा। अभिषेक के बाद रामलला को रामादल ट्रस्ट के अध्यक्ष पं. कल्किराम की ओर से भेंट की गई रत्न जड़ित पीले रंग की पोशाक धारण कराई जाएगी। सूखी धनिया, रामदाना एवं सिंघाड़ा तथा कुट्टू के आटे से निर्मित ढाई क्विंटल पंजीरी के साथ रामलला को 56 भोग अर्पित किया जाएगा।

कृपा-करुणा का प्रसाद प्राप्त करें

रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने अपने संदेश में श्रद्धालुओं से अपेक्षा की है कि वे श्रीराम की कृपा-करुणा के साथ उनके शील, औदार्य और पराक्रम का प्रसाद भी प्राप्त करें ताकि पूरी दुनिया में उच्चतर मानवता की प्रतिष्ठा के अभियान का नेतृत्व कर सकें।

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