‘आर्थिक आतंकवाद की कोशिश में US’, भड़का ईरान; रोम में होने वाली बैठक टली

तेहरान/वाशिंगटन। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने तेहरान के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करने के बहाने ईरान और अन्य देशों के व्यक्तियों और संस्थाओं पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों की कड़ी निंदा की है और इसे ‘आर्थिक आतंकवाद’ के अमेरिकी प्रयासों का स्पष्ट संकेत बताया है।

बाघेई ने अमेरिकी पर साधा निशाना

बाघेई ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि पिछले कुछ दिनों में लगाए गए प्रतिबंध अमेरिकी नीति निर्माताओं के कानून तोड़ने और अन्य देशों के अधिकारों और हितों के उल्लंघन पर जोर देने के साथ-साथ आर्थिक आतंकवाद के माध्यम से विकासशील देशों के बीच मैत्रीपूर्ण और कानूनी संबंधों को बाधित करने के उनके प्रयासों का स्पष्ट संकेत हैं।

उन्होंने कहा कि ये “अमेरिकी निर्णय निर्माताओं के विरोधाभासी दृष्टिकोण और कूटनीति के मार्ग को आगे बढ़ाने में सद्भावना और गंभीरता की कमी का एक और स्पष्ट प्रमाण हैं।”

क्या है अमेरिका का आरोप

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, बाघई अमेरिकी वित्त विभाग और विदेश विभाग द्वारा मंगलवार और बुधवार को लगाए गए प्रतिबंधों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।

इन प्रतिबंधों में ईरान के छह व्यक्तियों और ईरान तथा अन्य देशों की 13 संस्थाओं पर ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल्स के व्यापार में कथित संलिप्तता और ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कोर की ओर से बैलिस्टिक मिसाइल प्रणोदक सामग्री की खरीद के लिए प्रतिबंध लगाए गए थे।

अमेरिका ने बुधवार को कहा कि वह ईरान से बाहर स्थित पांच कंपनियों पर प्रतिबंध लगा रहा है जो ईरानी तेल बेचने में शामिल हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, “जब तक ईरान अपनी अस्थिर गतिविधियों को वित्तपोषित करने और अपनी आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए तेल और पेट्रोकेमिकल राजस्व उत्पन्न करने का प्रयास करता रहेगा, तब तक संयुक्त राज्य अमेरिका ईरान और प्रतिबंधों से बचने में लगे उसके सभी भागीदारों को जवाबदेह ठहराने के लिए कदम उठाएगा।”

शनिवार को दोनों देशों की होनी थी वार्ता

यह कदम शनिवार को रोम में ईरान-अमेरिका की चौथे दौर की वार्ता से पहले उठाया गया है, जिसमें तेहरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने के बदले प्रतिबंधों से राहत की मांग कर रहा है।

अपने पहले कार्यकाल के दौरान, डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और विश्व शक्तियों के बीच 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका को वापस ले लिया था और कड़े प्रतिबंध फिर से लगा दिए थे, जिससे इस्लामिक गणराज्य को अपनी प्रतिबद्धताओं को वापस लेना पड़ा।

Back to top button