
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सेना इन दिनों एक गंभीर गोला-बारूद संकट से जूझ रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेना के पास सिर्फ 96 घंटे तक युद्ध लड़ने के लिए जरूरी गोला-बारूद बचा है। इसका मतलब है कि अगर कोई भी उच्च तीव्रता वाला युद्ध शुरू हो जाए, तो पाकिस्तान की सेना ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगी।
इस संकट की एक बड़ी वजह पाकिस्तान द्वारा हाल ही में यूक्रेन को भेजा गया हथियारों का जखीरा है। खास तौर पर 155mm आर्टिलरी शेल्स की भारी मात्रा में आपूर्ति से पाकिस्तान के पास अपने भंडार खत्म हो गए हैं। ये गोले पाकिस्तान की आर्टिलरी-आधारित युद्ध नीति के लिए बेहद जरूरी हैं, जो अब सीधे तौर पर प्रभावित हो रही है।
पाकिस्तान की हथियार निर्माण कंपनी पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्ट्री (POF), जो सेना को गोला-बारूद उपलब्ध कराती है वो अब पुराने उपकरणों और सीमित उत्पादन क्षमता के कारण घरेलू मांग पूरी नहीं कर पा रही है। POF का दावा है कि उसकी प्राथमिकता घरेलू जरूरतें हैं, लेकिन वर्तमान हालात में वो असफल रही है।
सेना के शीर्ष अधिकारियों की बैठक में उठा मुद्दा
रिपोर्ट के अनुसार, 2 मई को हुई कोर कमांडर्स की विशेष बैठक में इस गंभीर स्थिति पर चर्चा हुई। सेना के वरिष्ठ अधिकारी इस हालात को लेकर बेहद चिंतित हैं और कई हद तक असहज महसूस कर रहे हैं।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा पहले ही पाकिस्तान की सीमित युद्ध क्षमता को लेकर चेतावनी दे चुके थे। उन्होंने आर्थिक और लॉजिस्टिक समस्याओं को प्रमुख वजह बताया था।
पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति, जिसमें महंगाई चरम पर है, कर्ज लगातार बढ़ रहा है और विदेशी मुद्रा भंडार गिर रहा है, इसने हालात और भी बिगाड़ दिए हैं।
इस संकट के कारण सेना को अपने प्रशिक्षण अभ्यासों को रद्द करना, राशन में कटौती करना और युद्धाभ्यास स्थगित करना पड़ा है क्योंकि ईंधन की भी भारी कमी है।
भारत-पाक तनाव में बढ़ोतरी
बढ़ते खतरे को देखते हुए पाकिस्तान ने भारत सीमा के पास नए गोला-बारूद डिपो बनाना शुरू किया है। लेकिन जानकारों का कहना है कि जब भरने के लिए गोला-बारूद ही नहीं है, तो इन डिपो का कोई रणनीतिक फायदा नहीं होगा।
एक रक्षा विशेषज्ञ ने बताया, “पाकिस्तान ने अपने गोले दूसरे देशों के युद्ध में भेज दिए और खुद खाली हाथ रह गया। यह एक आर्थिक लाभ के लिए उठाया गया कदम था, जिसने दीर्घकालिक रणनीतिक नुकसान पहुंचाया है।”
यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, खासतौर पर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज़्यादातर पर्यटक थे।
भारत का कड़ा जवाब
इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं। इसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को बंद करना और दोनों देशों के हाई कमीशन स्टाफ की संख्या कम करना शामिल है।
भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए वीज़ा रद कर दिए हैं और उन्हें 30 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश दिया था। साथ ही, पाकिस्तान एयरलाइंस की उड़ानों के लिए भारत का हवाई क्षेत्र भी बंद कर दिया गया है।