
नई दिल्ली। आज कल लोगों की लाइफस्टाइल काफी बिगड़ गई है। इस कारण लोग कई सारी बीमारियाें का शिकार होते जा रहे हैं। मोटापा, डायबिटीज, दिल की बीमारी तो आम है। इसका असर हमारे मेंटल हेल्थ पर भी देखने को मिलता है। इस कारण लोगों में नींद न आने की समस्या भी देखने को मिलती है।
ऐसे में लोग गलत तरीके अपना लेते हैं। कई लोग ड्रिंक करने लग जाते हैं तो कुछ स्लीपिंग पिल्स का सहारा लेते हैं। ये आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
अगर आप भी नींद न आने की समस्या से परेशान हैं तो हम आपको एक बहुत ही खास 4-7-8 तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं, इससे अनिद्रा की समस्या से आप तुरंत निजात पा सकते हैं।
क्या है 4-7-8 ब्रीदिंग एक्सरसाइज?
यह एक ब्रीदिंग एक्सरसाइज है। इसका आधार प्राचीन योग तकनीकों पर है, जो सांस की गति को कंट्रोल कर शरीर के नर्वस सिस्टम को शांत करती है।
इसमें तीन मेन स्टेप होते हैं। 4 सेकंड तक सांस लेना, इसके बाद 7 सेकंड तक सांस रोकना और फिर 8 सेकंड तक धीरे-धीरे मुंह से सांस छोड़ना। इस प्रक्रिया को कम से कम 4 बार दोहराया जाता है, जिसे एक राउंड माना जाता है।
कैसे काम करती है ये तकनीक?
जब हम 4-7-8 ब्रीदिंग एक्सरसारइज करते हैं, तो हमारा फोकस सिर्फ सांस पर होता है, जिससे दिमाग में चल रही अनचाही बातें धीरे-धीरे शांत हो जाती हैं। ये मन को शांत करता है। इसके अलावा ये हार्ट रेट को धीमा करती है। तनाव और चिंता कम करने क लिए ये एक बेहतरीन एक्सरसाइज है।
इससे नींद न आने की समस्या दूर होती है। इसको करने से दिमाग को ज्यादा ऑक्सीजन मिलता है। ये नर्वस सिस्टम को रिलैक्स करता है। यही कारण है कि कई लोग मानते हैं कि 4-7-8 तकनीक अपनाने के कुछ ही मिनटों में नींद आने लगती है।
कैसे करें ये एक्सरसाइज?
बिस्तर पर लेट जाएं या फिर किसी शांत जगह पर बैठ जाएं।
अब अपनी आंखों को बंद करें और शरीर को ढीला छोड़ दें।
मुंह बंद कर के 4 सेकंड तक नाक से धीरे सांस लें।
अब सांस रोककर 7 सेकंड तक गिनती करें।
इसके बाद मुंह से धीरे-धीरे 8 सेकंड तक सांस छोड़ें।
यही प्रक्रिया कम से कम 4 बार दोहराएं।
शुरुआत में अगर सांस रोकने में कठिनाई हो तो धीरे-धीरे अभ्यास करें।
कब और कितनी बार करें?
सोने से ठीक पहले इसका अभ्यास करें।
चाहें तो दिन में तनाव के समय भी कर सकते हैं।
नियमित अभ्यास से इसका असर और गहरा होता है।
हो सकती हैं ये दिक्कतें
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, जब आप पहली बार 4-7-8 सांस लेना सीख रहे होते हैं, तो आपको थोड़ा चक्कर आने या सांस फूलने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि यह सिर्फ धीरे-धीरे सांस लेना सीखने का एक तरीका है जो आपको मानसिक रूप से सुकून पहुंचाता है।
हममें से बहुत से लोग अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने के आदी नहीं होते हैं, लेकिन थोड़े अभ्यास से आपका शरीर जल्द ही समायोजित हो जाएगा।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख में दी गई जानकारी के पूर्णतया सत्य होने का हमारा दावा नहीं है. अपनाने से पूर्व सम्बंधित विशेषज्ञों की सलाह लें.