‘6 महीने में पता चल जाएगा…’, पुतिन के बयान पर ट्रंप की प्रतिक्रिया; क्या होगा भारत पर असर?

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिकी प्रतिबंधों का रूस की अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं होगा।

ट्रंप ने कहा कि अगर उन्हें ऐसा लगता है तो अच्छा है लेकिन छह महीने बाद मैं आपको बताऊंगा कि इसका क्या असर हुआ? देखते हैं, आगे क्या होता है। ट्रंप का यह बयान व्हाइट हाउस द्वारा जारी किया गया है, जो अमेरिका और रूस के बीच हालिया आर्थिक प्रतिबंधों की जंग के बीच आया है।

दरअसल, अमेरिका ने हाल ही में रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रॉसनेफ्ट और लुकोइल पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। इसके बाद यूरोपीय संघ ने भी ऊर्जा, शिपिंग और वित्तीय लेनदेन को निशाना बनाते हुए नए आर्थिक प्रतिबंधों का एलान किया।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन का बयान

इससे पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के इस कदम को ‘बैर बढ़ाने वाली कार्रवाई’ (unfriendly act) बताया और चेतावनी दी कि इससे वैश्विक तेल कीमतें बढ़ सकती हैं। हालांकि पुतिन ने कबूला कि अमेरिकी प्रतिबंधों के ‘कुछ असर’ होंगे, लेकिन रूस की अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

मास्को में पत्रकारों से बात करते हुए रूसी राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि गंभीर अमेरिकी प्रतिबंधों के रूस पर निश्चित परिणाम होंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि इनका उसकी अर्थव्यवस्था पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।

पुतिन ने ट्रंप को चेतावनी दी है कि रूसी तेल निर्यात पर अंकुश लगाने की कोशिश वैश्विक तेल बाजारों को अस्थिर कर देगी और अमेरिका के खिलाफ इसका उल्टा असर होगा।

उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजारों में भेजे जाने वाले हमारे तेल और तेल उत्पादों की मात्रा में भारी कमी से कीमतें बढ़ेंगी। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी पेट्रोल पंपों पर उपभोक्ताओं को इसका असर महसूस होगा।

इसी के साथ पुतिन ने अमेरिकी प्रतिबंधों की निंदा करते हुए इसे एक “अमित्र कार्रवाई” बताया, जो वाशिंगटन के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचाएगी और कहा कि मास्को दबाव के आगे नहीं झुकेगा।

भारत पर क्या होगा असर?

रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकआयल पर प्रतिबंध लगने के कारण गुरुवार को वैश्विक तेल की कीमतों में पांच प्रतिशत की वृद्धि हो गई। इस प्रतिबंध से भारत की चुनौती भी बढ़ गई है।

चूंकि भारत अपनी जरूरत का 87 प्रतिशत तेल आयात करता है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर डाल सकती है। इसके अलावा भारत रूस की इन्हीं दो कंपनियों से अधिकांश तेल खरीदता है। अब भारतीय तेल कंपनियों के लिए रूसी तेल की खरीद मुश्किल हो जाएगी।

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