
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) दशकों से इस्लामी उग्रवादियों और आतंकवादी समूहों के जरिए नशीली दवाओं की तस्करी कर रही है। ISI इससे होने वाले मुनाफे का इस्तेमाल विनाशकारी गतिविधियों के लिए करने के साथ ही ‘नार्को-जिहाद’ चला रही है। ISI इस काम में कई आतंकी संगठनों के साथ सीक्रेट तरीके से काम कर रही है।
इनमें लेबनान में हिज्बुल्लाह, नाइजीरिया में बोको हरम, अल कायदा से जुड़े गुट और दाऊद इब्राहिम का गिरोह शामिल है। नार्को जिहाद के निशाने पर गैर मुस्लिम देश और हिंदू हैं। बांग्लादेशी पत्रकार सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने यह दावा किया है। उनका कहना है कि ढाका पर भी इस गठजोड़ की नजर है।
वीकली ब्लिट्ज में अपने लेख में सलाहुद्दीन शोएब चौधरी कहते हैं कि पाकिस्तानी ISI और दाऊद की डी-कंपनी के कोलंबिया, मैक्सिको, वेनेजुएला, निकारागुआ और दक्षिण अमेरिकी देशों के ड्रग सरगनाओं के साथ संबंध हैं। इसने सीरिया के अपदस्थ शासक बशर-अल-असद के साथ भी वर्षों से अरबों डॉलर का मेथ व्यापार चलाने के लिए सहयोग किया है।
निशाने पर भारत
बोको हरम ने भारत में अपने नार्को-जिहाद को फैलाने के लिए अल-कायदा और दाऊद इब्राहिम के साथ अपना नापाक गठबंधन बनाया है। बोको हरम ने दाऊद इब्राहिम और ISI के सक्रिय समर्थन से भारत के नार्को-वितरण नेटवर्क में घुसपैठ की है।
बोको हरम और अल-कायदा से डी-कंपनी की निकटता दिखाती है कि ये अपने नेटवर्क का इस्तेमाल भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी के जरिए आतंकी धन जुटाने के लिए कर रहे हैं।
पाकिस्तानी सेना और ISI दशकों से अंतरराष्ट्रीय नार्को-नेटवर्क में गहराई से शामिल हैं। 2022 में तालिबान के प्रतिबंध से पहले तक अफगानिस्तान दुनिया की 80 प्रतिशत अफीम का उत्पादन करता था।
उस समय से ही पाकिस्तान की सेना और एजेंसी ड्रग्स के धंधे में है। पाकिस्तान में हेरोइन की अच्छी पैदावार होती है, तो देश के सुरक्षा प्रिंटिंग प्रेसों में छापे जा रहे नकली भारतीय रुपये अगले दरवाजे पर अराजकता फैलाते हैं।
ISI-दाऊद की नई साजिश
बांग्लादेश में शासन बदलने के बाद ISI और दाऊद इसमें मौका ढूंढ़ रहे हैं। ढाका में मौजूदा भारत-विरोधी यूनुस शासन का पूरा फायदा उठाते हुए ISI ने डी-कंपनी के साथ गठजोड़ बनाकर बांग्लादेश में अपनी पैठ बढ़ाई है।
वह धीरे-धीरे नशीले पदार्थों के नेटवर्क का विस्तार कर रही है। इसका लक्ष्य ना केवल भारत में ड्रग्स पहुंचाना है, बल्कि एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी चैनल भी स्थापित करना है। इससे दाऊद- ISI गठजोड़ विभिन्न देशों में ड्रग्स पहुंचाने में सक्षम होगा।
पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान पिछले साल बांग्लादेश में हुए जिहादी तख्तापलट को देश में अपनी प्रमुख उपस्थिति फिर से स्थापित करने और अंततः इसे भारत के लिए एक नए सुरक्षा खतरे में बदलने के एक शानदार अवसर के रूप में देख रहा है।
शोएब चौधरी का मानना है कि नार्को-जिहाद पर केंद्रित ISI-दाऊद गतिविधियों के नवीनतम मामले गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय हैं। इस पर भारत से लेकर अमेरिका तक को ध्यान देने की जरूरत है।
				
					




