नई दिल्ली। 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए योगाभ्यास को अपनाने का सबसे बड़ा कारण एक्सरसाइज के दौरान चोटिल न होने का खतरा है। जोड़ों की समस्या और गठिया के मरीजों की रेंज ऑफ मूवमेंट में कमी हो सकती है और कुछ गतिविधियों को करने में दर्द हो सकता है। ट्रेडिशनल योगा पोज में थोड़ा बदलाव करके इन बीमारियों के पीड़ितों को फायदा पहुंचाया जा सकता है।
जोड़ों का लचीलापन बढ़ेगा
योगा को अपनाने से जोड़ों को और नुकसान पहुंचाए बिना समस्या को सुधारा जा सकता है। हल्के आसन और पोस्चर रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बना सकते हैं। इनसे जोड़ों की अकड़न कम होती है और फ्लैक्सिबिलिटी बढ़ती है। योगा से जोड़ों के आसपास की मसल्स को मजबूत कर सकते हैं, जिससे बेहतर सपोर्ट और स्टेबिलिटी मिलती है।
प्राणायाम से होंगे रिलैक्स
माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन के लिए बुजुर्गों का योग को अपनाना महत्वपूर्ण है। कई बुजुर्ग अपनी बीमारी के कारण काफी ज्यादा तनाव और चिंता में रहते हैं। योगाभ्यास में ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन शामिल करके गठिया से पीड़ित व्यक्ति अपने तनाव को मैनेज करके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना सीख सकते हैं।
बुजुर्गों के लिए 6 आसान योगासन
1. ताड़ासन: बॉडी पोस्चर को सही करके बैलेंस और स्टेबिलिटी को बढ़ाता है।
2. उत्कटासन: बैठते समय शरीर के निचले हिस्से की मजबूती को बढ़ाता है, जिससे पैरों में स्थिरता और लचीलापन आता है।
3. वृक्षासन: यह एक स्टेंडिंग पोज कॉर्डिनेशन और बैलेंस को बेहतर बनाता है।
4. पश्चिमोत्तानासन: इसमें हैमस्ट्रिंग और कमर पर हल्का स्ट्रेच किया जाता है, जिससे फ्लैक्सिबिलिटी और रिलैक्सेशन बढ़ता है।
5. मार्जरीआसन-बितिलासन: रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन और रेंज ऑफ मोशन को बढ़ाकर बैक की हेल्थ को बेहतर बनाता है।
6. विपरीत करणी: ब्लड सर्कुलेशन और रिलैक्सेशन को बढ़ावा देकर थकावट और बेचैनी को कम करता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।