उप्र: राज्यसभा की 10 सीटों के लिए मतदान आज, सपा में टूट की अटकलें

लखनऊ। उप्र से राज्यसभा की 10 सीटों के लिए आज मंगलवार को होने वाले चुनाव के लिए सोमवार को भाजपा और सपा अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए एक-एक वोट सहेजने के लिए मशक्कत करते रहे। अपनी जीत पुख्ता करने के लिए भाजपा ने अपने और सहयोगी दलों के विधायकों के लिए जहां दोपहर में लोकभवन सभागार में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया तो शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप दिया।

वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी शाम को पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर विधायकों के साथ बैठक कर चुनाव के लिए रणनीति तय की। दोनों दलों ने अपने-अपने खेमे के विधायकों के लिए रात्रिभोज आयोजित किए। भाजपा की ओर से लोकभवन सभागार में आयोजित मतदान प्रशिक्षण सत्र में सहयोगी दलों-अपना दल (एस), निषाद पार्टी और सुभासपा के नेता और विधायक मौजूद थे। रालोद विधायक भी इस प्रशिक्षण सत्र में शामिल हुए। सभी विधायकों को डमी मतदान पत्र दिया गया।

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने उन्हें मतपत्र पर अपना मत अंकित करने का तरीका बताया। विधायकों ने लोकभवन सभागार में बनाये गए दो बूथों पर मतदान किया। सूत्रों के अनुसार जांच में लगभग एक दर्जन विधायकों के मतपत्र अमान्य पाये गए जिन्हें बाद में फिर से मतपत्र के जरिये सही मतदान का तरीका समझाया गया।

प्रशिक्षण सत्र के दौरान सुभासपा और रालोद के कुछ विधायक नहीं मौजूद थे। हालांकि पार्टी की ओर से दावा किया गया कि वे मंगलवार को मतदान करने आएंगे। शाम को हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों को प्राथमिकता के आधार पर समय से और सावधानी के साथ मतदान करने की नसीहत दी।

भाजपा ने अपने आठों प्रत्याशियों के मतदान प्रबंधन के लिहाज से अपने और सहयोगी दलों के विधायकों को आठ समूहों में बांटने की योजना बनाई है। प्रत्येक समूह के लिए सचेतक तैनात किये गए हैं। सभी विधायक मंगलवार सुबह विधान भवन स्थित भाजपा विधानमंडल दल कायार्लय पहुंचेंगे जहां उन्हें व्हिप जारी किया जाएगा जिसमें उन्हें बताया जाएगा कि उन्हें किस प्रत्याशी को वोट देना है।

भाजपा ने आठों प्रत्याशियों को वोट देने वाले विधायकों के लिए आठ अलग-अलग मंत्रियों के कक्ष आवंटित किए हैं। जिस विधायक को जिस प्रत्याशी को वोट देना होगा, उसके आधार पर वह संबंधित मंत्रियों के कक्ष में जाएंगे। वहां गिनती और मतदान की प्रक्रिया एक बार और समझाए जाने के बाद वे समूह में मतदान के लिए जाएंगे।

नहीं पहुंचे सपा के आठ विधायक, टूट की अटकलें

तेज उधर शाम को सपा के प्रदेश कार्यालय में पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव की ओर से बुलाई गई बैठक में पार्टी के आठ विधायक नहीं पहुंचे। इससे सपा खेमे में टूट की अटकलें तेज हो गईं। हालांकि सपा नेताओं का कहना था कि ये विधायक किन्हीं कारणों से नहीं बैठक में नहीं आ पाए हैं जिसके बारे में उन्होंने पार्टी नेतृत्व को पहले ही सूचित कर दिया था।

उन्होंने दावा किया कि पार्टी के सभी विधायक मंगलवार को मतदान करेंगे। सपा ने अपने विधायकों को सुबह 10 बजे प्रदेश कार्यालय पहुंचने का निर्देश दिया है। यहां से सभी विधायक विधान भवन स्थित सपा के विधानमंडल दल कार्यालय पहुंचेंगे जहां उन्हें मतदान के लिए विप जारी किया जाएगा।

रघुराज खुलकर आए भाजपा के पक्ष में

बजट सत्र के दौरान विधान सभा में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए भाजपा सरकार की भूरि-भूरि प्रशंसा करने वाले जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष व कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह राज्यसभा चुनाव से पहले खुलकर भाजपा के पक्ष में आ गए। न सिर्फ उन्होंने चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन का एलान किया बल्कि सोमवार शाम लोकभवन सभागार में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की बैठक में वह मंच पर विराजमान थे।

बैठक के बाद उन्होंने भाजपा व सहयोगी दलों के विधायकों के लिए आयोजित रात्रिभोज में भी शामिल हुए। गौरतलब है कि विधान सभा में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो सदस्य हैं।

बसपा मतदान से रह सकती है दूर

अट्ठारहवीं विधानसभा में बसपा के एक मात्र विधायक उमाशंकर सिंह है। चूंकि बसपा प्रमुख मायावती पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह लोकसभा चुनाव में न एनडीए के साथ हैं और न ही विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए में शामिल होंगी। वैसे तो राज्यसभा चुनाव के लिए मंगलवार को होने जा रहे मतदान में पार्टी के रुख के बारे में बसपा प्रमुख ने सोमवार देर रात तक स्पष्ट नहीं किया लेकिन माना जा रहा है कि बसपा चुनाव से दूर रख सकती हैं।

गौरतलब है कि बलिया जिले की रसड़ा विधानसभा सीट से विधायक उमाशंकर मायावती के विश्वासपात्रों में से हैं। पिछले दिनों उमाशकंर के बेटे के मांगलिक कार्यक्रम में बसपा प्रमुख शामिल भी हुई थी। पार्टी नेताओं का कहना है कि बहन जी नहीं चाहती कि उनके विधायक के मतदान में शामिल होने पर लोकसभा चुनाव से पहले यह संदेश जाए कि बसपा, भाजपा के साथ हैं। यह तो साफ है ही कि बसपा किसी भी हालत में सपा प्रत्याशियों को वोट देने वाली नहीं है।

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