मुंबई। लोकसभा चुनाव 2024 में उम्मीदवार घोषित करने के मामले में कांग्रेस अधिकतर राज्यों में पिछड़ती जा रही है। बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में 195 कैंडिडेट उतार दिए हैं जबकि कांग्रेस दो लिस्ट जारी करने के बाद भी 82 उम्मीदवारों पर फैसला कर सकी है।
बीजेपी ने आंध्रप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में गठबंधन में सीटों के मुद्दे को सुलझा लिया है जबकि महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में कांग्रेस अपने पुराने सहयोगियों के साथ सीटों के बंटवारे पर फंस गई है। बीजेपी की दूसरी लिस्ट में बिहार और महाराष्ट्र की सीटों पर भी कैंडिडेट का ऐलान हो सकता है। बीजेपी की दूसरी लिस्ट में 90 उम्मीदवार हैं।
कांग्रेस की तीसरी लिस्ट आने से पहले भाजपा 285 सीटों पर कैंडिडेट का ऐलान कर बढ़त ले लेगी। कांग्रेस के लिए सबसे उलझा हुआ मामला महाराष्ट्र में है, जहां एनसीपी शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) के बीच कई राउंड के बाद भी सहमति नहीं बन सकी है।
कैंडिडेट उतारने में बीजेपी ने ली बढ़त, कांग्रेस पिछड़ी
कांग्रेस की दूसरी लिस्ट में 40 कैंडिडेट घोषित कर दिए मगर महाराष्ट्र से एक भी दावेदार का नाम सामने नहीं आया। कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी के लिए राहत की खबर यह है कि मुकाबले में रहने वाले महायुति गठबंधन ने भी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। महाराष्ट्र में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी के बीच समझौता हो गया है।
एनसीपी 4, शिवसेना 13 और बीजेपी 31 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। शरद पवार के भतीजे बारामती, रायगढ़, शिरूर और परभणी से अपने कैंडिडेट उतारेंगे। दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी में अभी सीटों को लेकर खींचतान चल रही है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के बीच सीटों को लोकर पेच फंसा है। कांग्रेस ने 2019 के मुकाबले अपनी सीटों का त्याग किया है।
शिवसेना (यूबीटी) 2019 में जीती गई 18 सीटों पर अड़ी हुई है। वर्द्धा, सांगली, भंडारा-गोंदिया, हटकनंगल, सोलापुर, अकोला और अमरावती समेत 10 सीटों पर एमवीए गठबंधन कोई फैसला नहीं कर सका है।
कांग्रेस इस बार महाराष्ट्र में 16-18 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि पिछले चुनाव में वह 25 सीटों पर लड़ी थी। अपने खाते पालघर सीट उसने बहुजन विकास अघाड़ी को दे दी थी। एनसीपी ने 22 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे थे।
कांग्रेस के गढ़ वाली सीटों पर उद्धव और शरद पवार का दावा
उद्धव ठाकरे ने मुंबई उत्तर पश्चिम और सांगली सीट पर दावा ठोक दिया है, जो परंपरागत तौर से कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि पिछले दो चुनावों में बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा है।
सांगली सीट पर महाविकास अघाड़ी के नेता जीत के लिए आश्वस्त हैं। इस सीट पर एमवीए को किसान नेता राजू शेट्टी के स्वाभिमानी शेतकारी संगठन का समर्थन हासिल है। शिवसेना सांगली सीट से चंद्रहार पाटिल को उम्मीदवार बनाना चाहती है। कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम वसंतदादा पाटिल के पोते विशाल पाटिल टिकट के दावेदार हैं।
दूसरा पेच कोल्हापुर लोकसभा सीट पर फंसा है। उद्धव ठाकरे ने कोल्हापुर से छत्रपति शाहू महाराज को उतारने का प्रस्ताव दिया है, इसके लिए कांग्रेस राजी नहीं है। कांग्रेस नेताओं ने यहां एक शर्त रख दी है। छत्रपति शाहू महाराज को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना होगा।
वर्द्धा और भंडारा-गोंदिया में भी एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस के बीच खींचतान हो रही है। भंडारा-गोंदिया से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले चुनाव लड़ने की चर्चा है, मगर एनसीपी (शरद पवार) ने इस पर ऐतराज जताया है। बहुजन विकास अघाड़ी भी कांग्रेस की पुरानी सीटों सोलापुर, अकोला और अमरावती पर दावेदारी कर दी है।
बात बिगड़ी तो कांग्रेस पर ही फूटेगा ठीकरा
कांग्रेस की मुसीबत यह है कि कई वह सभी राज्यों में सहयोगियों के दावे के हिसाब से समझौते कर रही है। शर्त नहीं मानने पर इंडिया के सहयोगी गठबंधन से बाहर जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी इंडिया ब्लॉक से बाहर चली गई। यूपी में अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को 17 सीटों पर सीमित कर दिया। दिल्ली में कांग्रेस के खाते में तीन सीटें ही आईं और बदले में उसे आम आदमी पार्टी को गुजरात में दो सीटें देनी पड़ी।
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने खुद को अलग कर लिया। अब अगर महाराष्ट्र में तालमेल बिगड़ता है तो इसका ठीकरा भी कांग्रेस पर ही फूटेगा। बिहार में नीतीश कुमार के इंडिया ब्लॉक से बाहर होने के लिए कांग्रेस को ही दोषी ठहराया गया। बहुजन विकास अघाड़ी पहले ही फैसले लेने में सुस्त रवैये का आरोप लगा चुकी है।