नई दिल्ली। हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सफलता पाने हेतु व्रत रखा जाता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रविवार 21 अप्रैल को है।
रविवार के दिन पड़ने के चलते यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा। रवि प्रदोष व्रत करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही महादेव की कृपा से साधक के सकल मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।
अगर आप भी जीवन में व्याप्त दुख और कष्ट से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो रवि प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की श्रद्धा भाव से पूजा करें। साथ ही पूजा के समय राशि अनुसार मंत्र जप करें।
राशि अनुसार मंत्र जप
मेष राशि के जातक रवि प्रदोष व्रत पर ‘ॐ भीमाय नमः’ मंत्र का एक माला जप करें।
वृषभ राशि के जातक भगवान शिव की कृपा पाने के लिए ‘ॐ वराय नमः’ मंत्र का जप करें।
मिथुन राशि के जातक रवि प्रदोष व्रत पर ‘ॐ भवाय नमः’ मंत्र का एक माला जप करें।
कर्क राशि के जातक मनचाहा वर पाने के लिए ‘ॐ हराय नमः’ मंत्र का जप करें।
सिंह राशि के जातक रवि प्रदोष व्रत पर ‘ॐ नियताय नमः’ मंत्र का एक माला जप करें।
कन्या राशि के जातक महादेव की कृपा पाने हेतु’ॐ शाश्वताय नमः’ मंत्र का एक माला जप करें।
तुला राशि के जातक रवि प्रदोष व्रत के दिन ‘ॐ ध्रुवाय नमः’ मंत्र का जप करें।
वृश्चिक राशि के जातक रवि प्रदोष व्रत के दिन ‘ॐ विश्वरूपाय नमः’ मंत्र का एक माला जप करें।
धनु राशि के जातक रवि प्रदोष व्रत पर ‘ॐ सर्वकर्मणे नमः’ मंत्र का एक माला जप करें।
मकर राशि के जातक मनचाहा वर पाने हेतु ‘ॐ आदिकराय नमः’ मंत्र का एक माला जप करें।
कुंभ राशि के जातक रवि प्रदोष व्रत पर ‘ॐ सोमाय नमः’ मंत्र का जाप एक माला जप करें।
मीन राशि के जातक भगवान शिव की कृपा पाने हेतु ‘ॐ योगिने नमः’ मंत्र का पांच माला जप करें।
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